For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।

वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।

बाहर से उजले दिखें, मन में भरे विकार।

ऐसे लोगों पर कभी,करना न ऐतबार।।

ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।

लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।

जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।

हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।

मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।

इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।

थोड़े से भी हो नहीं,बचने के आसार।

अपने दुश्मन पर करें,ऐसा तेज प्रहार।।

हर कोई कहता यही,जीने के दिन चार।

आओ थोड़ा यत्न कर,इन में भर ले प्यार।।

जिसके रहते हो गयी,चोरों की भरमार।

कौन कहे उसको भला,अच्छा चौकीदार।।

जो रोके बढ़ती हुई,चोरों की रफ़्तार।

उसको ही तो सब कहें, अच्छा चौकीदार।।

हम तो दुनिया से चले, करके पूरा फ़र्ज़।

सोचो उतरे किस तरह, तुम पर है जो कर्ज़।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on May 21, 2019 at 12:09pm

जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय अशोक कुमार जी। अन्यथा लेने का सवाल ही नहीं। सादर नमन जी

Comment by surender insan on May 21, 2019 at 12:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया भाई बृजेश कुमार जी।

Comment by surender insan on May 21, 2019 at 12:01pm

जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय समर कबीर साहब जी। सादर नमन।

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 10, 2019 at 8:03pm

रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।

वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।.......वाह ! जरूरी है. जवानों के दम पर ही हम सुख का जीवन बीता रहे हैं. 

जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।

हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।......वाह ! हर हाल में एक समान रहने का सन्देश देता सुन्दर दोहा.

चौकीदार वाले आपके दोनों दोहों के कथ्य से थोड़ा सहमत नहीं हूँ मैं. क्योंकि आपने चोरों अधिकता होना बताया है. जबकि आवश्यकता चोरी की वारदात बढ़ना दिखाने की है.  यह मेरा व्यक्तिगत मत है इसे न राजनीति से जोड़ना, न ही अन्यथा लेना. 

आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी सादर, बहुत सुंदर दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिरभी कुछ जगह कमियाँ नजर आ रहीं हैं. 

ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।...............तेरे जाने बाद .....यह अपूर्ण वाक्य है, इससे बचना चाहिए. सही होता /तेरे जाने के बाद/

लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।

मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।.../मदिरा बहुत बुरी बला/ ...यहाँ गेयता कम हो गई है. ध्यान रखें तीन त्रिकल एक साथ न आयें 

इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।

हर कोई कहता यही,जीने के दिन चार।

आओ थोड़ा यत्न कर,इन में भर ले प्यार।।.....ले /लें ....देख लें. सादर. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 9, 2019 at 9:16am

वाह आदरणीय सुन्दर दोहे..बधाई

Comment by Samar kabeer on April 8, 2019 at 11:47am

जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अच्छी रचना हुई है ब्रजेश भाई। बधाई। अन्य सभी की तरह मुझे भी “आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा”…"
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"बेहतरीन अशआर हुए हैं आदरणीय रवि जी। सभी एक से बढ़कर एक।"
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश नूर भाई। बहुत बधाई "
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आभार रक्षितासिंह जी    "
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"अच्छे दोहे हुए हैं भाई लक्ष्मण धामी जी। एक ही भाव को आपने इतने रूप में प्रकट किया है जो दोहे में…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. रक्षिता जी, दोहों पर उपस्थिति, और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
16 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय !"
18 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"बहुत खूब आदरणीय,  "करो नहीं विश्वास पर, भूले से भी चोट।  देता है …"
18 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय,  सत्य कहा आपने । निरंतर मनुष्य जाति की संवेदनशीलता कम होती जा रही है, आज के…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. रक्षिता जी, एक सार्वभौमिक और मार्मिक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सादर प्रणाम,  आदरणीय"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service