रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।
वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।
बाहर से उजले दिखें, मन में भरे विकार।
ऐसे लोगों पर कभी,करना न ऐतबार।।
ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।
लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।
जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।
हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।
मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।
इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।
थोड़े से भी हो नहीं,बचने के आसार।
अपने दुश्मन पर करें,ऐसा तेज प्रहार।।
हर कोई कहता यही,जीने के दिन चार।
आओ थोड़ा यत्न कर,इन में भर ले प्यार।।
जिसके रहते हो गयी,चोरों की भरमार।
कौन कहे उसको भला,अच्छा चौकीदार।।
जो रोके बढ़ती हुई,चोरों की रफ़्तार।
उसको ही तो सब कहें, अच्छा चौकीदार।।
हम तो दुनिया से चले, करके पूरा फ़र्ज़।
सोचो उतरे किस तरह, तुम पर है जो कर्ज़।।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय अशोक कुमार जी। अन्यथा लेने का सवाल ही नहीं। सादर नमन जी
बहुत बहुत शुक्रिया भाई बृजेश कुमार जी।
जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय समर कबीर साहब जी। सादर नमन।
रक्षा करते देश की,दे कर अपनी जान।
वीर जवानों का करो,दिल से तुम सम्मान।।.......वाह ! जरूरी है. जवानों के दम पर ही हम सुख का जीवन बीता रहे हैं.
जीवन के पथ पर तुम्हें,छाँव मिले या धूप।
हर पल आगे ही बढ़ो,सुख दुख में सम रूप।।......वाह ! हर हाल में एक समान रहने का सन्देश देता सुन्दर दोहा.
चौकीदार वाले आपके दोनों दोहों के कथ्य से थोड़ा सहमत नहीं हूँ मैं. क्योंकि आपने चोरों अधिकता होना बताया है. जबकि आवश्यकता चोरी की वारदात बढ़ना दिखाने की है. यह मेरा व्यक्तिगत मत है इसे न राजनीति से जोड़ना, न ही अन्यथा लेना.
आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी सादर, बहुत सुंदर दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिरभी कुछ जगह कमियाँ नजर आ रहीं हैं.
ये माना मैं जी रहा,तेरे जाने बाद।...............तेरे जाने बाद .....यह अपूर्ण वाक्य है, इससे बचना चाहिए. सही होता /तेरे जाने के बाद/
लेकिन मुझको हर समय,तेरी आती याद।।
मदिरा बहुत बुरी बला,किसने की ईजाद।.../मदिरा बहुत बुरी बला/ ...यहाँ गेयता कम हो गई है. ध्यान रखें तीन त्रिकल एक साथ न आयें
इसके कारण हो रहे,कितने घर बरबाद।।
हर कोई कहता यही,जीने के दिन चार।
आओ थोड़ा यत्न कर,इन में भर ले प्यार।।.....ले /लें ....देख लें. सादर.
वाह आदरणीय सुन्दर दोहे..बधाई
जनाब सुरेन्द्र इंसान जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।
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