For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समय के साथ भी सीखा गया है ।

122-2122-2122


समय के साथ भी सीखा गया है ।।
ये गुजरा दौर भी बतला गया है ।।

मेरी मजबूरियां अब मत गिनो तुम ।
मेरे संग हो तो सब देखा गया है ।।

सभी उस्ताद बनकर ही नहीं हैं।
मुझे अधभर में ही रख्खा गया है ।।

ये तेरा प्रेम कब छूटेगा मुझसे ।
मेरे चहरे में ये बस सा गया है ।।

मेरे भी चाहने वाले मिलेंगे।
मुझे कहकर यही बिछड़ा गया है ।।

कभी वो इन्तेहाँ मेरा भी ले ले।
जो मंजिल की तरफ रस्ता गया है।।

सलोना मुस्कुराता एक चहरा ।
मुकम्मल झूठ पर पहना गया है।।

जमाना क्या कहेगा क्या सुनेगा ।
नसीहत को सदा रौंदा गया है।।

कोई कमजोर तबक़ा कब उठा है ।
सियासी खेल पर खेला गया है।।

आमोद बिंदौरी / मौलिक अप्रकाशित

Views: 450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिगंबर नासवा on April 19, 2019 at 8:08pm

अच्छा प्रयास है गजल का ...  आदरणीय लोगों की बातें गिरह बाँध लें ... विचारों को धार खुद मिलेगी ...

Comment by amod shrivastav (bindouri) on April 19, 2019 at 9:12am

आ सलीम साहब आदाब
जी सर अरकान गलत हुआ है/

मुझे फ़ऊलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन समझ आई थी

मुझसे रुक्न बनाने में गलती हुई,मार्ग दर्शन के लिए शुक्रिया सर , अगली बार से रुक्न अरकान परिवार की पहचान पर भी ध्यान दूंगा 

Comment by SALIM RAZA REWA on April 18, 2019 at 10:00pm
आमोद जी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वविकारें,
अरकान ग़लत लिखा है.. अरकान
1222 1222 122 है सही कर लें,
शेरों में तुक बंदी के साथ शेरियत पैदा करें,
Comment by amod shrivastav (bindouri) on April 18, 2019 at 11:14am

आ समर दादा प्रणाम

जी दादा कोशिश तो हर बार करता हु की रचना में कमियां को कम क्र पाउ पर ऐसा अल्पज्ञान के कारण हो नहीं प् है। बहर भेद, शिल्प , व्याकरण और दोष के साथ अपना कहन सुधारने का लक्ष में हूँ।

Comment by Samar kabeer on April 17, 2019 at 6:17pm

जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

हमेशा की तरह शिल्प और व्याकरण के दोष हैं कई अशआर में,उन पर क़ाबू पाने का प्रयास करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service