For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अम्मा को चारपाई पर लेटे देख बिटिया किशोरी भी उसके बगल में लेट गई और दोनों हाथों से उसे घेर कर कसकर सीने से लगाकर चुम्बनों से अपना स्नेह बरसाने लगी। इस नये से व्यवहार से अम्मा हैरान हो गई। उसने अपनी दोनों हथेलियों से बिटिया का चेहरा थामा और फ़िर उसकी नम आंखों को देख कर चौंक गई। कुछ कहती, उसके पहले ही बिटिया ने कहा :


"अम्मा तुम ज़मीन पे चटाई पे लेट जाओ!"


जैसे ही वह लेटी, किशोरी अपनी अम्मा के पैर वैसे ही दाबने लगी, जैसे अम्मा अपने मज़दूर पति के अक्सर दाबा करती है।


"क्या बात है बच्ची! आज माँ पे इत्ता लाड़ क्यों बिटिया?"


"तुम बहुत बहादुर हो अम्मा! इत्ती ग़रीबी में भी चार बच्चे पैदा करके हमें पढ़ा-लिखा रई हो; परिवार चला रई हो!" किशोरी ने अम्मा को औंधा कर उसकी पीठ पर बढ़िया मालिश करते हुए कहा।


"बता न बेटा! परेशान सी क्यों है? तेरी आँखों में आंसू क्यों हैं? अपनी अम्मा को तो बतायेगी न!" माँ ने बैठ कर किशोरी के सिर पर हाथ फेरकर कहा।


"दो-चार साल बाद तुम मेरी शादी कर दोगी न!"


"हां, बच्ची! हम ग़रीब लोग ज़ल्दी ही बेटी ब्याह देना सही समझत हैं!" अम्मा ने जवाब तो दे दिया, लेकिन फिर घबराकर बोली, "कछु तो गड़बड़ है! ज़ल्दी बता, तेरे साथ कछु बुरो तो नईं भओ?"


"बुरो जब कभी तुमाये साथ न भओ, तो तुमाई बिटिया के साथ कैसे हो सकत है अम्मा!"


"तो फिर?"


"अम्मा, तुम ने पहले मुझे जना, फ़िर तीन और बच्चे जने बिना अस्पताल गये!"


"हां, तो?"


"कित्ती तक़लीफ़ हुई होगी न तुम्हें झुग्गी में ही मुझे पैदा करने में!" यह कहते हुए किशोरी फफक कर रोने लगी।


"ऐ किशोरी! पूरी बात बता! जे बहकी से बातें क्यों कर रई है आज!" बिटिया के आंसू पोंछती हुई माँ बोली।


"अम्मा, आज पता चला! मैं भी लड़की हूं! मुझे भी ग़रीबी में बच्चा जनना पड़ेगा! ... लेकिन मैं शादी नहीं करूंगी! पढ़ूंगी; अपनी ग़रीबी दूर करूंगी!"


"पहले ये बता, तुझे किसने क्या बताया जचकी के बारे में!" सब कुछ ताड़कर माँ ने पूछा।


अम्मा को फिर से अपने सीने से लगाकर किशोरी बोली, "हमारी स्कूूूल वाली सहेेेली है न ... पूनम! उसने अपने मोबाइल में वीडियो में दिखाया कि औरत सड़क पर, घर में, गाड़ी में और खेत में बच्चा कैसे जनती है! औरत कित्ती तड़पती और चिल्लाती है!" फ़िर से रोते हुए वह बोली, "तुमाये जैसी ग़रीब औरत तो झुग्गी में और भी ज़्यादा परेशान हो जाती होगी न!"


"बेटा, सरकारी अस्पताल वाले मदद करत हैं; लेकिन सब को नसीब नहीं होत! ... लेकिन तुमने सहेली के साथ ऐसे वीडियो क्यों देखे?, क्यों गई उसके घर?" माँ कुछ नाराज़ होकर बोली।


"अम्मा, मोबाइल में तो सब कुछ दिख जात है! पूनम ने आज बताया और सब दिखाया हमें!"


यह सुनते ही मां परेशान हो गई। उसे नाबालिग किशोरी जवान नज़र आ रही थी!


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 460

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 30, 2019 at 6:37pm

आदाब। मेरी इस रचना पर अपना अमूल्य समय देकर अपनी राय से अवगत कराने और मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद जनाब समर कबीर साहिब, मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा और जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 30, 2019 at 10:29am

सामाजिक सरोकार पर अच्छी रचना । बधाई स्वीकार करें आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on April 29, 2019 at 3:11pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on April 25, 2019 at 4:39pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन।बढ़िया लघुकथा लिखी आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service