तोटक छंद "विरह"
सब ओर छटा मनभावन है।
अति मौसम आज सुहावन है।।
चहुँ ओर नये सब रंग सजे।
दृग देख उन्हें सकुचाय लजे।।
सखि आज पिया मन माँहि बसे।
सब आतुर होयहु अंग लसे।।
कछु सोच उपाय करो सखिया।
पिय से किस भी विध हो बतिया।।
मन मोर बड़ा अकुलाय रहा।
विरहा अब और न जाय सहा।।
तन निश्चल सा बस श्वांस चले।
किस भी विध ये अब ना बहले।।
जलती यह शीत बयार लगे।
मचले मचले कुछ भाव जगे।।
बदली नभ की न जरा बदली।
पर मैं बदली अब हो पगली।।
=============
लक्षण छंद:-
जब द्वादश वर्ण "ससासस" हो।
तब 'तोटक' पावन छंदस हो।।
"ससासस" = चार सगण
112 112 112 112 = 12 वर्ण
******************
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी रचना को आपसे मान मिला लेखन सार्थक हुआ। बहुत आभार।
आद0 बासुदेव अग्रवाल जी सादर अभिवादन। नए छंद से हम सभी को अवगत कराते हुए बेहतरीन सृजन के लिए आभार सँग बधाई निवेदित है। सादर
आदरणीय छोटेलाल सिंह जी बहुत बहुत आभार।
आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी आपका अतिशय आभार।
आदरणीय वासुदेव शरण अग्रवाल जी सादर अभिवादन बहुत ही सुंदर मनमोहक सृजन मन प्रसन्न हो गया, बहुत बहुत बधाई
वाह,वाहहह,लाजवाब छंद है। हार्दिक बधाई आदरणीय 'बासुदेव अग्रवाल 'नमन' जी। मेरे लिए तो नया भी है।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online