मेरा भारत महान - लघुकथा -
राजू का इस बार वोट देने का पहला अवसर था। वोटर लिस्ट में भी नाम आ गया था। वोटर स्लिप भी घर आ गयी थी। वह बहुत रोमांचित हो रहा था। पहली बार मतदान का कैसा अनुभव होता है, अपने मित्रों से पूछता फिरता था।
वे उसे अपने अपने अनुभवों के आधार पर किस्से सुनाते तथा साथ ही सलाह भी देते कि किसको वोट देना है। लेकिन उसने सोच रखा था कि वोट तो अम्मा द्वारा बताये नेता को ही दूँगा। इस दुनियाँ में उसकी सब कुछ अम्मा ही थी। बापू तो बचपन में ही गुजर गये थे।अम्मा ने बड़े दुख झेल कर उसे पाला था। घर का खर्च अभी भी अम्मा ही उठा रही थी। वह काम काज की तलाश में था।
वोट डालने जब वह स्कूल पहुँचा। कुछ लड़कों ने उसे घेर लिया,"किसे वोट देने वाले हो?"
"यह कोई बताने की बात थोड़े ही है। और तुम लोग क्यों पूछ रहे हो?"
"हम लोग संता बंता पार्टी के वर्कर हैं| हम तुम्हारे भले के लिये कह रहे हैं।"
"मेरा भला? मैं कुछ समझा नहीं?"
"यार सीधी सी बात है। हम तुम्हें तुम्हारे वोट की कीमत देना चाहते हैं।"
"अरे वाह, यह तो मुझे किसी ने भी नहीं बताया कि वोट देने पर पैसे भी मिलते हैं।"
"लेकिन यह बात गुप्त है।अपने तक ही रखना|"
इतना बोल कर उन कार्यकर्ताओं ने राजू के हाथ में एक पाँच सौ का नोट थमा दिया और उसके हाथ से उसकी वोटर स्लिप ले ली," जाओ तुम्हारा वोट पड़ गया"।
"कोई धोखा धड़ी तो नहीं होगी?"
"भाई, हमारे देश की यही खास बात है कि यहाँ गलत कामों और काले धंधों में कोई बेईमानी नहीं होती|"
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।
लघुकथा बहुत ही अच्छी लिखी है। बधाई, भाई तेज वीर सिंह जी।
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।
आदाब। कच्चा चिट्ठा। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब इस बढ़िया व उम्दा रचना के लिए।
हार्दिक आभार आदरणीय विनय कुमार जी।लघुकथा पर आपकी उपस्थिति मेरे लिये गर्व की बात है।पुनः आभार।
बहुत बढ़िया रचना वर्तमान हालात पर आ तेज वीर सिंह जी, बहुत बहुत बधाई आपको
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब जी।लघुकथा के मर्म को आपने बखूबी पहचाना।शुक्रिया।
मुहत रम तेजवीर सिंह साहिब,, आज के हालात पर अच्छी लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
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