For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे दो जून के - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

कभी किसी को ना करे, भूख यहाँ बेहाल
रोटी सब दो जून की, पाकर हों खुशहाल।१।


मुश्किल  से  दो जून की, रोटी  आती हाथ
खाने को यूँ आज तो, मिल बैठो सब साथ।२।


रोटी को दो जून की, अजब गजब से खेल
इसकी खातिर जग करे, दुश्मन से भी मेल।३।


रोटी को  दो  जून  की, क्या  ना  करते लोग
झूठ ठगी दैहिक व्यसन, सब इसके ही योग।४।


रोटी बिन दो जून की, बिलखाती है भूख
रोटी  पा  दो  जून  की, ढूँढें  लोग  रसूख।५।


सदा भाग्य ने है लिखा, निर्धन के घर झोल
रोटी को  दो  जून  की, अस्मत  से  ले मोल।६।


पड़ी जलावन पर यहाँ, मँहगाई की मार
रोटी तब दो  जून  की, कैसे पकती यार।७।


रोटी से दो  जून  की, इक  है  कोसों दूर
खाना खर्चा एक को, किस्मत से भरपूर।८।


सरकारें निश्चिंत  अब, नित  कर मँहगा नून
जनता का मुश्किल हुआ, कटना यूँ दो जून।९।


मेहनतकश फाका करे, कामचोर की मौज
रोटी को दो जून की, जुटती सबकी फौज।१०।


मौलिक अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2019 at 7:32pm

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2019 at 7:31pm

आ. नीलम जी, सादर आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 29, 2019 at 9:36pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। प्रशंसा व मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by vijay nikore on June 15, 2019 at 10:59am

दोहे अच्छे लिखे हैं।। बधाई, लक्ष्मण  जी

Comment by Neelam Upadhyaya on June 12, 2019 at 2:47pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर जी, नमस्कार। अच्छे दोहे लिखे हैं। बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on June 12, 2019 at 11:21am

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर जी आदाब,अच्छे दोहे लिखे आपने,इसके लिए बधाई स्वीकार करें ।

'कभी किसी को ना करे, भूख यहाँ बेहाल
रोटी सब दो जून की, पाकर हों खुशहाल'

इस दोहे की तुकांतता क्या है? ग़ौर करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service