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दोहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

दोहे


तरुवर  देते  फूल फल, नदिया  देती  नीर
मानव मानव को मगर देता नित क्यों पीर।१।


ओछा मन हद तोड़ता, ओछी नदिया कूल
जैसे चन्दन  से  अधिक, माथे चढ़ती धूल।२।


जो बोता  है  पेड़  इक, बाँटे सबको छाँव
काटे जो वट रात दिन, जलते उसके पाँव।३।


अर्थी, पूजा, प्रीत को, मिले न आगन फूल
इस युग बोने सब लगे, कैक्टस कैर बबूल।४।


मरने पर जिसको रही, गंगाजल की चाह
उसने  गंगा  ओर  की, हर  नाले की राह।५।


जहाँ पसीना नित बहे, कनक उगलती रेत
कर्महीन को इस जगत, बन्जर उर्वर खेत।६।


अधरों पर यदि प्यास है, चल नदिया के तीर
सूखे  पनघट  बैठकर, किसे  मिला  है  नीर।७।


काठ न सीला हो जहाँ, धुआँ रहित नित आग
बिन काजल  की  कोठरी, किसे  लगा है दाग।८।


जाने कैसा हो गया, इस युग में हर गाँव
बोकर बीज बबूल के, ढूँढे पीपल छाँव।९।


वीर शिवाजी  जो  नहीं, माँ  गौहर सी नार
और शिवाजी को सदा, गौहर माँ का सार।१०।


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2019 at 6:18am

आ. भाई नरेन्द्र सिह जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2019 at 6:16am

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 22, 2019 at 5:09pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by narendrasinh chauhan on May 21, 2019 at 6:49pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी। बेहतरीन दोहे।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2019 at 12:22pm

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, उम्दा दोहे हुए हैं मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 21, 2019 at 10:33am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी। बेहतरीन दोहे।

जाने कैसा हो गया, इस युग में हर गाँव
बोकर बीज बबूल के, ढूँढे पीपल छाँव।९।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 21, 2019 at 9:46am

आ. भाई सुरेंद्र जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on May 20, 2019 at 5:45pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। एक से बढ़कर एक बेहतरीन दोहे लिखे आपने। इन दोहों के लिए बधाई प्रेषित है।सादर

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