एक गीत
==========
मन के आँगन में फूटा जो
प्रीतांकुर नवजात |
खाद भरोसे की देकर अब
सींच इसे दिन-रात |
**
ध्यान रहे यह इस जीवन का
बीत गया बचपन |
आतुर है दस्तक देने को
अब मादक यौवन |
उर-आँगन में जगमग हर पल
सपनों के दीपक
और रही झकझोर हृदय को
यह बढ़ती धड़कन |
वयः संधि का काल हृदय में
भावों का उत्पात |
खाद भरोसे की देकर अब
सींच इसे दिन-रात |
**
सावधान रह खो मत देना
मधुर प्रीत के पल |
स्वाभाविक है मन-सागर में
लहरें जो चञ्चल |
आकर्षण का जाल परस्पर
लाता नित्य निकट
अनजाने ही परवश होता
जाता अंतस्तल |
मौन साध कर भी हो जाती
नयनों से है बात |
खाद भरोसे की देकर अब
सींच इसे दिन-रात |
**
जीवन आह-कराह उबासी
का होता संगम |
और कभी खो देते तन मन
अपना जब संयम |
प्रीत वासना के चंगुल में
रह जाती फँसकर
बोध स्वयं को होने लगता
अपराधी के सम |
ऐसे क्षण में जाग किसी से
करना मत यह घात |
खाद भरोसे की देकर अब
सींच इसे दिन-रात |
**
मन के आँगन में फूटा जो
प्रीतांकुर नवजात |
खाद भरोसे की देकर अब
सींच इसे दिन-रात |
**
गिरधारी सिंह गहलोत तुरंत' बीकानेरी |
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ,आपकी सराहना के लिए हार्दिक आभार |
क्या बात है , आदरणीय गिरधारी भाई , बढिया गीत रचना की है , हार्दिक बधाई
आदरणीय Samar kabeer साहेब आपकी सराहना से मन गदगद है ,इसी तरह स्नेह बनाये रखें और मार्गदर्शन भी करते रहें | सादर नमन |
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,बहुत अच्छा गीत रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online