For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घोघा रानी, कितना पानी ।
बदला मौसम, बरसा पानी ।।

डूब गई गली और सड़कें ।
नगर निगम का उतरा पानी ।।

सब कुछ अच्छा करते दावा ।
नही बचा आँखों का पानी ।।

गंगा कोशी पुनपुन गंडक ।
सब नदियों में उफना पानी ।।

मैं तो हूँ गंगा का बेटा ।
पितरों को भी देता पानी ।।

नगर हुआ मेरा स्मार्ट सिटी ।
उठा गरीब का दाना पानी ।।

जल दूषित से उनको क्या है ?
वो पीते बोतल का पानी ।।

नदियां बोलीं सुनो समंदर ।
पास न तेरे मीठा पानी ।।

बाग़ी भी तो सागर जैसा ।
रखे आँख में खारा पानी ।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 28, 2019 at 5:53pm

सामाजिक परिवेश को लेकर एक अच्छी रचना..बधाई आदरणीय

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 25, 2019 at 10:17pm

आ0अरकान नहीं लिखा आपने । ग़ज़ल की समीक्षा कैसे हो ? खैर!

नदियां बोली .... शेर में सुतर गुरबा का दोष है ।

दूषित जल हो उनको क्या है ।

जो पीते ...... 

डूब चुकीं जब गलियां सड़कें ।

सब कुछ अच्छा करते दावा इस शेर में रब्त नहीं है ।

नगर हुआ यह मिसरा बह्र में नहीं

आंखों में है खारा पानी

Comment by Samar kabeer on September 25, 2019 at 8:38am

जनाब गणेश जी "बाग़ी" साहिब आदाब,हालात-ए-हाज़िरा पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'डूब गई गली और सड़कें'

ये मिसरा बह्र में नहीं है,और 'गली' एक वचन में है,और 'सड़कें' बहुवचन में,ये बात भी कुछ खटकती है,उचित लगे तो इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

"डूब गईं गलियाँ और सड़कें"

'नगर हुआ मेरा स्मार्ट सिटी'

ये मिसरा भी मुझे लय में नहीं लगा,इसे बदलने का प्रयास करें ।

'नदियां बोलीं सुनो समंदर ।
पास न तेरे मीठा पानी'

इस शैर के ऊला में 'सुनो' शब्द बहुवचन और सानी में 'तू' एक वचन के कारण शुतरगुरबा दोष पैदा कर रहा है,उचित लगे तो इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'नदियाँ बोलीं सुन ऐ सागर'

'रखे आँख में खारा पानी'

इस मिसरे में मात्राएँ तो 16 हैं पर शब्द विन्यास ठीक नहीं होने से कुछ खटकता है जैसे 'रखे आँ'22 'ख में'12,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'आँख में रक्खे खारा पानी'

बाक़ी शुभ शुभ ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 23, 2019 at 9:25pm
  1. उत्साहवर्धन हेतु दिल से शुक्रिया मोहतरम आसिफ़ जैदी साहब ।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 23, 2019 at 9:23pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 23, 2019 at 8:17pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी।बेहतरीन गज़ल।

Comment by Asif zaidi on September 23, 2019 at 1:43pm

बहुत बहुत बधाई आदरणीय बाग़ी जी शानदार प्रस्तुति सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
16 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service