For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जल नहीं- जीवन बचाओं

कभी मैं बन ओंस की बूंद

मोती बन बिखर जाता हूँ

मोहकता की छवि बना

मुस्कान चेहरे पर लाता हूँ||

 

कभी तपता भानु के तप में

और भाप बन उड जाता हूँ  

काले घने मैं बादल बन

मैं बरसता, भू-धरा की प्यास बूझाता हूँ||

 

कभी बन आँसू के मोती

कभी खुशी में मैं छ्लक आता हूँ

कभी दुख में बह कर के मैं

भावुकता को दर्शाता हूँ||

 

बेरंग हूँ, पर हर रूप में ढलता

जिसमे मिलता उसका रूप अपनाता हूँ

निश्चित हो, बस आगे बढ़ता

खुद अपना मार्ग बनाता हूँ||

 

कभी सागर की लहरे बन

किनारों से भी टकराता हूँ

कभी रूप बनाता भयंकर बाढ़ का

विनाश का कारण बन जाता हूँ||

 

कभी बन मै मीठा जल

पीने के काम में आता हूँ

जीवन का आधार मै बन

सबकी प्यास बुझाता हूँ||

 

कभी बनता खारा जल

समुद्र जल कहलाता हूँ

व्यापार के काम में आकर

धन संपत्ति को लाता हूँ||

  

बेवजह जल नष्ट करो ना

विनती सबसे करता हूँ

दूर नहीं है वो दिन भी अब

जब दूर-दूर ना मिल पाऊँगा||

 

चेतावनी जल सभी को देता

जल बिना क्या कर पाओगे

दूसरों को जल दोगे या

फिर खुद की जान बचाओगे||

 

हर बूंद, जल बेशकीमती

इस बात क्यों ज्ञान नहीं

जल से सड़के-नाले धोना छोड़  

अब झाड़ू-पौचे के काम चलाओ ||

 

 कारखानो/कंपनियों में भी

जल बचाने की योजनाएँ लाओं

बिन पानी से चलने वाली

मशीनरी ऐसी तैयार कराओं ||

 

पाइपलाइनों से होते रिसाव को 

शीघ्रताशीघ्र जा बंद करवाओं  

जल संरक्षण नियमावली को सारे देश में लागू करा

वक़्त रहते, संभल जाओ ||

 

बाँध चाहे पौखरे बनाओ

बेवजह जल, पर मत बहाओ

ज्यादा से ज्यादा उपयोग में लाओं

वर्षा जल भी खूब बचाओं ||

 

जितना हो सके, जल बचाओ

आन्दोलन करो चाहे मुहिम चलाओ

कुछ भी करो पर, जल बचाओ

ज्यादा से ज्यादा जल बचाओ||

 

 

"मौलिक और अप्रकाशित"

Views: 408

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on November 4, 2019 at 10:06am

भाई सुरेंदर नाथ आपके सुझाव के लिए आभार 

Comment by नाथ सोनांचली on November 1, 2019 at 1:23pm

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। कविता के लिए आवश्यक शब्द कलो का इसमें अभाव दिख रहा है जिसके कारण यह रचना लय में न होकर स्लोगन जैसी हो गयी है। आशा है आप शब्द कल के संयोजन पर भी ध्यान देंगें। इस रचना पर बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

Comment by PHOOL SINGH on October 30, 2019 at 12:53pm

कबीर साहब को इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आभार 

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 3:54pm

जनाब फूल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service