इंसा नहीं उसकी छाया है
बिन शरीर की काया है
सृष्टि का संतुलन बनाने हेतु
ईश्वर ने ही उसे बनाया है||
सृष्टि में नकारात्मकता और सकारात्मक्तका समन्वय करके
अच्छाई बुराई में भेद बनाया है
सही गलत का मार्ग बता
प्रभु ने जीवन को समझाया है||
अंधेरा का मालिक बना
भयानक रूप उसको दे कर
जग जीवन को डराया है
जीवन का भेद बताया है||
प्रबल इच्छा संग मर, जो जाते
सपने पूरे जो, ना कर पाते
घटना-दुर्घटना में मृत्यू पाते
भूत-प्रेत जुनी में वही है जाते||
टूटे-फूटे खंडरों में लगे बसेरा
सुनशान गलियों,कहीं सड़कों पर रहे भटकते
नहीं तो अपनी मृत्यू जगह पर
अपने होने का अहसास कराते||
कहीं लटकते पेड़ो की डाली
कहीं चौराहो पर मिल वो जाते
कभी टोने-टोटके के संग घर में आता
अपने आकाओ का हुक्म निभाते||
मानसिक/शारीरिक कष्ट दे-दे कर
कब्जे में लिए शरीर को
शत्रु दल की खुशी बढ़ाते
भूत-प्रेत जुनी जो है पाते||
चिल्ला-चिल्ला कर शोर मचाते
इच्छा पूर्ति की खातिर वो
दुनियादारी से ना अब कोई वास्ता
घर-परिवार को परेशान है करते||
कर ना सका जो जीते जी
उन अतृप्त इच्छा को
पूरी करने कोशिश करते
इसलिए अंधेरे लोक से वापस आते||
कभी जीव के मुह से बोलते
कभी इंसान के
शरीर पर कब्जा जमा
कष्ट दे-दे खूब परेशान वो करते||
कुछ अच्छे तो कुछ होते बुरे
कुछ जिद्दी, कुछ होते सनकी
उल्टी सीधी हरकत कर
लोगो में भय बनाने की कोशिश करते ||
कुछ इच्छा पूरी कर आशीर्वाद दे जाते
तंत्र-मंत्र से जाते
तांत्रिको की मार भी खाते
ऐसे जिद्दी भूत भी होते ||
जग में होती सभी तरह की चीजे
मानो तो पत्थर में भी ईश्वर है
ना मानो तो केवल एक साधारण सा पत्थर होता
इस कहावत को सिद्ध कर वो जाते||
इस संबंध में मैं कहता
एक ही बात जीते जी जो जीने मरने को
कसमें खाते रहने एक दूजे के साथ
मरने के बाद दूरी बनाते उनसे उनके खास||
शुद्धता से वो दूर ही रहते
अपवित्रता में शक्ति पाते
अशुद्द रहना, अशुद्ध खाना
अशुद्धता देख से खुश हो जाते ||
ईश्वर से सदैव दुआ मनाओ
कभी भूत प्रेत का संग ना पाओ
स्वच्छ वातावरण अपने आस-पास
इन नकारात्मकता को दूर भगाओ ||
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
सर कबीर साहब आपका बहुत धन्यवाद
कबीर साहब आपका मेरी रचना को अपना कीमती समय देने के लिए आभार|
जनाब फूल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।
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