For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं बीज पड़ा तेरे आँगन में
तेरी आर्द्रता से अंकुरण है
ये तन पौध बना फिर देख बढ़ा
तेरा होना मेरा सर्जन है।

कल-कल बहती हैं नदियाँ तुझ पर
मीठे-मीठे गीत सुनातीं हैं
जीवन को सींच रही हैं पल-पल
हरियाली को लेकर आतीं हैं
नित चलती पथ पर ये बिना रुके
आगे को ही बढ़ती जातीं हैं
बाधाओं को पार करें कैसे
ऐसा सबको पाठ पढ़ातीं हैं।

फिर मीत सिंधु के जा साथ मिलें
दिख जाता क्या प्रेम समर्पण है?
ये तन पौध बना फिर देख बढ़ा
तेरा होना मेरा सर्जन है।

दुनिया भर में जो मौसम हैं वे,
तेरे आँगन धूम मचाते हैं ।
नाना विधि के फल वे ला-लाकर,
सबको सुख से तर कर जाते हैं ।
जब फसलें पक कर लहराती हैं
त्योहार कईं तब-तब आते हैं
ऋतु-मेला हो तेरे आँचल में,
सब मिलकर खुशी मनाते हैं।

हे पुण्य धरा! हे स्वर्गमयी! माँ!
हृदय पुष्प से तेरा अर्चन है।
ये तन पौध बना फिर देख बढ़ा,
तेरा होना मेरा सर्जन है।

कोई सिर बिन साया रहे नहीं
सबको ही दिन-रैन बसेरा हो
सारे पेट अन्न से पूर्ण रहे
कहीं भूख का कभी न डेरा हो
ठंड- धूप से हर तन की रक्षा
खातिर, वसन यहाँ बहुतेरा हो
साहस से सब मिलकर साथ लड़ें
जब संकट का कोई घेरा हो।

आनन्द रहे शुद्ध वायु जल से,
अब ईश्वर से यही निवेदन है।
ये तन पौध बना फिर देख बढ़ा,
तेरा होना मेरा सर्जन है।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 441

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 5, 2019 at 6:51am

आदरणीय समर कबीर सर, सादर वन्दे। उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार। सर्जन: सृजन जैसे ही अर्थ में लिया गया है। सादर

Comment by Samar kabeer on November 4, 2019 at 2:42pm

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब, अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'तेरा होना मेरा सर्जन है'

इस पंक्ति में 'सर्जन' या 'सृजन'?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
25 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service