गज़ल(122-122-122-122)
क़यामत का मंज़र दिखाने लगे हैं
अचानक ही वो मुस्कुराने लगे हैं
ये क्या कम है सुनते न थे जो हमारी
वो अब हाथ हम से मिलाने लगे हैं
बुरा हो जवानी का आयी है जबसे
वो सूरत ही मुझ से छुपाने लगे हैं
दिए जो जलाये उजाले की ख़ातिर
वही आग घर को लगाने लगे हैं
अमीरों के बंगले बचाने की ख़ातिर
वो मुफ़लिस के छप्पर जलाने लगे हैं
सरे बज्म हँस हँस के मत बात कीजिए
सभी लोग तियूरी चढ़ाने लगे हैं
ग़ज़ब है वफा जिनसे मैं कर रहा हूं
फरेबी वो मुझको बताने लगे हैं
भरोसा हुआ ही नहीं उनको मुझ पर
वफा को वो फ़िर आज़माने लगे हैं
जिन्हें मैं ने तस्दीक चलना सिखाया
वही मुझको ठोकर लगाने लगे हैं
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
इस सुन्दर रचना के लिए बधाई, मित्र तस्दीक अहमद जी।
आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। एक बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने। दाद के साथ बधाई कुबूल कीजिये। सादर
जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब, गज़ल पसन्द करने और आपकी इस इनायत का बहुत बहुत शुक्रिया
मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, गज़ल पसन्द करने और आपकी इस इनायत का बहुत बहुत शुक्रिया जनाब
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल.हुई है । हार्दिक बधाई ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने,बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online