For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल _तुम चाहे गुज़र जाओ किसी राह गुज़र से

(मफ ऊल_मफाईल_मफाईल_फ ऊलन) 

.

तुम चाहे गुज़र जाओ किसी राह गुज़र से
लेकिन नहीं बच पाओगे तुम मेरी नजर से

.

वो खौफ़ ए ज़माना से या रुस्वाई के डर से
देता रहा आवाज मैं निकले न वो घर से

.

तू जुल्म से आ बाज़ अभी वक़्त है ज़ालिम
पानी भी बहुत हो चुका ऊँचा मेरे सर से

.

फँसता है सदा हुस्न के वो जाल में यारो
वाकिफ़ जो नहीं उनके दग़ाबाज़ हुनर से

.

मालूम करें आओ कठिन कितना है रस्ता
कुछ लोग अभी लौट के आए हैं सफ़र से

.

ठुकरा दिया जो तू ने मुझे ये तो बता दे
जाऊँ गा कहाँ जाने जहां मैं तेरे दर से

.

ये जर्फ है अपना ये श ऊर अपना है लोगो
मैं सुनता रहा सिर्फ़ वो जब ना गहां बरसे

.

कोई भी खता वार नहीं जाने मन इसका
दीवाना हुआ हूं तेरे जलवों के असर से

.

इन्सान हैं हम कोई फरिश्ता तो नहीं हैं
ग़लती तो हुआ करती है दुनिया में बशर से

.

देखी गई उठती हुई उस सम्त क़यामत
वो हाय गुज़र जाते हैं बे पर्दा जिधर से

.

तस्दीक उन्हें कर दो ख़बर ढ़लने को है दिन
दीदार को बैठा है कोई दर पे सहर से

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2019 at 7:23pm

वाह आदरणीय वाह बेहद खूब ग़ज़ल हुई...

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 19, 2019 at 12:35pm

जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब 'आपकी इस इनायत का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 19, 2019 at 12:33pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब 'आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया

गुज़र में (  ز) है और नजर में (ظ) है, उर्दू के हिसाब से तो मेरे खयाल से सही है l मिसरा यूं कर लिया है " अगलात हुआ करती हैं दुनिया में बशर से" 

Comment by Samar kabeer on September 19, 2019 at 11:22am

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

तुम चाहे गुज़र जाओ किसी राह गुज़र से
लेकिन नहीं बच पाओगे तुम मेरी नजर से'

मतले के दोनों मिसरों में 'ज़र' की बंदिश हो गई है,देखियेगा ।

'ग़लती तो हुआ करती है दुनिया में बशर से'

इस मिसरे में 'ग़लती' का वज़्न 112 होता है, "लग़ज़िश" कर सकते हैं ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2019 at 5:15am

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service