आज वह सोचकर आया था कि पापा से नई घडी और पैंट शर्ट के लिए कह ही देगा. अब तो स्कूल के बच्चे भी कभी कभी चिढ़ाने लगे थे. लेकिन घर की हालत देखकर उसकी कहने की इच्छा नहीं होती थी. जैसे ही वह पापा के कमरे में पहुंचा, पीछे पीछे उसका चचेरा भाई भी आ गया. अभी वह कुछ कहता तभी उसके चचेरे भाई ने अपनी फरमाईस रख दी "बड़े पापा, मेरी साइकिल बिलकुल खचड़ा हो गयी है, इस महीने नई दिला दीजिये".
पापा ने उसकी तरफ प्यार से देखते हुए कहा "ठीक है, इस बार बोनस मिलना है, जरूर खरीद दूंगा. लेकिन संभाल कर चलाना, गिरना मत".
चचेरा भाई प्रसन्न मन से चला गया, उसको लगा कि पापा से इस समय कहने में कोई दिक्कत नहीं है. उसने पापा की तरफ देखा तभी पापा ने पूछ लिया "सब ठीक है ना रवि, पढ़ाई बढ़िया चल रही है तुम्हारी?
"पढ़ाई बढ़िया चल रही है पापा, बस एक नई घड़ी और पैंट शर्ट चाहिए थी", उसने उत्साहित होकर कहा.
पापा की नजरें जैसे कहीं दूर खो गयीं, फिर वह उसकी तरफ देखते हुए बोले "देखता हूँ, इस बार तो छोटे की साइकिल जरुरी है, तुम्हारे सामने ही तो उसको बोला है. अगर पैसे बचे तो जरूर खरीद दूंगा".
इतना बोलकर पापा बाहर निकल गए, उसके मन में आक्रोश भर गया. वह दौड़ते हुए माँ के पास गया और लगभग चिल्लाते हुए बोला "माँ, पापा छोटे की हर बात मान लेते हैं लेकिन मेरे लिए उनके पास पैसा ही नहीं रहता है. आखिर चाचा छोटे के लिए क्यों नहीं खरीदते हैं".
माँ ने उसको पुचकारते हुए अपने पास बैठाया और समझाने लगी "अरे तेरे चाचा कहाँ कमा पाते हैं, पैसा तो तेरे पापा ही कमाते हैं. लेकिन घर के बड़े होने की जिम्मेदारियां भी बहुत बड़ी होती हैं, तुझे भी बाद में समझ आएगा".
माँ अपने हिसाब से उसे समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे फिलहाल यह गणित समझ में नहीं आ रहा था.
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
इस उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब
आ. भाई विनय जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।
इस उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब
जनाब विनय कुमार जी आदाब, बहुत अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online