For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विशाल सागर ......
सागर
तेरी वीचियों पर मैं
अपनी यादों को छोड़ आया हूँ
तेरे रेतीले किनारों पर
अपनी मोहब्बत छोड़ आया हूँ
तेरी लहरों पर
नृत्य करती चांदनी संग
अपने सपन छोड़ आया हूँ
अपनी ज़िद,अपने सारे
भरम छोड़ आया हूँ
बस साथ अपने
अपना आसमान लाया हूँ
कुछ सुलगते अरमान
कुछ स्पर्शों के तूफ़ान
कुछ भीगी कागज़ की कश्तियाँ
कुछ अबोली खामोशियाँ
साथ अपने लाया हूँ
बाकी सब
तेरे किनारों पर छोड़ आया हूँ
वो आये कभी
मेरे बाद तो
मेरा सामान उसे लौटा देना
और हाँ
तेरी लहरों को
मैं भी एक बूँद
अपने खारे सागर की
जो देकर आया था
वो भी उसे लौटा देना
एक दर्द को आराम मिल जाएगा
तेरी मेहरबानी से
आशिक को उसका
मुक़ाम मिल जाएगा
फिर तू सच्चे मायने में
एक विशाल सागर कहलायेगा
 
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2019 at 7:02pm

आदरणीय आशीष यादव जी, आदाब ... सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2019 at 7:02pm

आदरणीय Vijay Nikore जी,  सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 19, 2019 at 7:01pm

आदरणीय समर कबीर जी, आदाब ... सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by vijay nikore on December 15, 2019 at 7:43pm

अच्छी रचना बनी है। हार्दिक बधाई, मित्र सुशील जी।

Comment by आशीष यादव on December 15, 2019 at 6:24pm

अच्छी कविता पर बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by Samar kabeer on December 13, 2019 at 2:55pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service