अहसास ...
देर तक
देते रहे
दस्तक
दिल के दरवाज़े पर
वो अहसास
जो तुम
अपनी आँखों से
छोड़ गए थे
मेरी आँखों में
जाते वक्त
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आपको नूतन वर्ष २०२० की हार्दिक बधाई।नया वर्ष आपके जीवन खुशियों की सौगात लाये। हैप्पी न्यू ईयर ...
आ. भाई सुशील जी, सुन्दर कविता हुई है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .... सृजन पर आपकी स्नेहासक्त प्रशंसा का दिल से आभार। त्रुटि इंगित करने के लिए हार्दिक आभार। मैं अभी एडिट कर पुनः पोस्ट करता हूँ। दिल से आभार।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
'अपनी आखों से' इस पंक्ति में टंकण त्रुटि देखें ।
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