For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मधुमालती छंद ( मात्रा विधान - 7-7 , 7-7)

शारदे माँ ( मधुमालती छंद)

माँ शारदे वरदान दो
सत बुद्धि दो संग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हों
अच्छे बुरे का सज्ञान दो

वाणी मधुर रसवान दो
मैं मैं का न गुणगान हों
तुमसे कभी हम दूर हों
न ऐसे कभी मज़बूर हों

दिल में सदा ही तुम रहो
रात और दिन बस तुम रहो
तुम बीन न यह जीवन हों
माँ शारदे ऐसा वर दो ।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1401

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 13, 2017 at 11:41pm
आ सर अब देखें क्या यह सही हुआ है ? कृपया मार्गदर्शन दें

माँ शारदे वरदान दो
सद्बुद्धि दो संग ज्ञान दो
मन में नहीं अभिमान हों
अच्छे बुरे की पहचान दो ।

वाणी मधुर रसवान दो
मैं मैं का न गुणगान हों
बच्चे अभी नादान हम
निर्मल एक मुस्कान दो

न जाने कि हम कौन हैं
हमें अपनी पहचान दो
अल्प ज्ञानी मानो हमें
बस चरण में तुम स्थान दो ।।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 6, 2017 at 6:53pm
Ji aadarniyaa Rajesh di. Prayas me trutiyan rahi khed hai .par sikhne ke liye prayas karungi kya pata 100 times galat ho..di sikhna to hai . Sadar

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2017 at 6:32pm

बहुत ही अच्छा प्रयास हुआ प्रिय कल्पना जी ,इसी तरह कोशिश करती रहिये बेहतर कर  सकेंगी बहुत बहुत बधाई आद० डॉ० गोपाल जी की बात पर गौर करें | 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 5, 2017 at 2:47pm
जी सर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 5, 2017 at 2:20pm

सत बुद्धि  - सद्बुद्धि

सज्ञान माने ज्ञानवान , समझदार /  सज्ञान दो का तात्पर्य ?

न ऐसे कभी / रात और दिन  – 8 मात्राये

अंतिम छंद में चरण का अंत किसी भी पंक्ति में  212 नहीं हुआ  7-7 का निर्वाह भी बाधित रहा

आदरणीया प्रयास के लिये बधाई  पर अभी और श्रम करना होगा . सादर .

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 5, 2017 at 9:36am
धन्यवाद आ मोहम्मद आरिफ जी । जी सर सीखने का प्रयास है । सादर ।
Comment by Mohammed Arif on April 5, 2017 at 9:33am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, बहुत बढ़िया मधुमालती छंद । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । छांदसिक विधान के बारे में विद्वजजन आगे अपना पक्ष रखेंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service