आप मेरे पाँव के आबलों को देखिये
फिर मेरी तै की हुई दूरियों को देखिये
गोद में वादी लिए हो कोई खरगोश ज्यूं
घाटियों में आप इन बादलों को देखिये
रो रहा है फूटकर आसमां किस बात पर
आँसुओं की है झड़ी बारिशों को देखिये
दुश्मनों की चाल से बाख़बर हरदम रहे
दोस्तों की भी ज़रा साज़िशों को देखिये
रहजनों से रास्ता पूछते हैं बारहा
मंज़िलों से बेख़बर रहबरों को देखिये
आपके सर पर चलो एक छत है तो सही
जी रहे हैं किस तरह बेघरों को देखिये
आजकल ‘खुरशीद’ भी बादलों में जा छुपा
तीरगी है हर तरफ़ गर्दिशों को देखिये
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय खुर्शीद जी ..हर शेर उम्दा है
आपके सर पर चलो एक छत है तो सही
जी रहे हैं किस तरह बेघरों को देखिये. ..वाकई सोचने की बात है ..दुसरे शेर में थोड़ी गेयता बाधित लगी ..ऐसा मुझे लगा है संभवतः गलत भी हो सकता है ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर
आदरणीय राहुल जी , सादर आभार |
आदरणीय उमेश कटारा जी , आ. दिनेश भाई , मुहब्बत है आपकी |नज़ारे-करम बनाये रखियेगा |सादर आभार |
आदरणीया राजेश कुमारी जी ,प्रतिभा जी , ग़ज़ल पर आपका अनुराग ही असली दाद है | आशा है यह अनुराग बना रहेगा ,आशीर्वाद मिलता रहेगा |सादर आभार
आदरणीय सौरभ सर ,आपका मेरी ग़ज़ल पर आना ही सौभाग्य की बात है ,उस पर आपका आशीर्वाद मिल जाना परम सौभाग्य है |सादर आभार |
आदरणीय विजयशंकर सर , मिथिलेश जी , हरिप्रकाश जी , सोमेश भाई ,आप सभी का स्नेह इसी तरह बना रहें |सादर आभार
आदरणीय श्याम नारायण जी , आदरणीय गोपालनारायण सर ,आपका हार्दिक आभार |स्नेह बनाये रखियेगा |सादर |
आपके सर पर चलो एक छत है तो सही
जी रहे हैं किस तरह बेघरों को देखिये
सुंदर गज़ल ,हर मतला खुबसुरत
आप मेरे पाँव के आबलों को देखिये
फिर मेरी तै की हुई दूरियों को देखिये---बहुत बढ़िया मतला
दाद कबूलें इस सुन्दर ग़ज़ल पर |
दुश्मनों की चाल से बाख़बर हरदम रहे
दोस्तों की भी ज़रा साज़िशों को देखिये
उम्दा गजल कही है सर वाह
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