For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आप मेरे पाँव के आबलों को देखिये

फिर मेरी तै की हुई दूरियों को देखिये

 

गोद में वादी लिए हो कोई खरगोश ज्यूं

घाटियों में आप इन बादलों को देखिये

 

रो रहा है फूटकर आसमां किस बात पर

आँसुओं की है झड़ी बारिशों को देखिये

 

दुश्मनों की चाल से बाख़बर हरदम रहे

दोस्तों की भी ज़रा साज़िशों को देखिये

 

रहजनों से रास्ता पूछते हैं बारहा

मंज़िलों से बेख़बर रहबरों को देखिये

 

आपके सर पर चलो एक छत है तो सही

जी रहे हैं किस तरह बेघरों को देखिये

 

आजकल ‘खुरशीद’ भी बादलों में जा छुपा

तीरगी है हर तरफ़ गर्दिशों को देखिये

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1232

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 15, 2015 at 2:44pm

आदरणीय खुर्शीद जी ..हर शेर उम्दा है 

आपके सर पर चलो एक छत है तो सही

जी रहे हैं किस तरह बेघरों को देखिये. ..वाकई सोचने की बात है ..दुसरे शेर में थोड़ी गेयता बाधित लगी ..ऐसा मुझे लगा है संभवतः गलत भी हो सकता है ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by khursheed khairadi on January 15, 2015 at 11:37am

आदरणीय राहुल जी , सादर आभार |

Comment by khursheed khairadi on January 15, 2015 at 11:35am

आदरणीय उमेश कटारा जी , आ. दिनेश भाई , मुहब्बत है आपकी |नज़ारे-करम बनाये रखियेगा |सादर आभार |

Comment by khursheed khairadi on January 15, 2015 at 11:33am

आदरणीया राजेश कुमारी जी ,प्रतिभा जी , ग़ज़ल पर आपका अनुराग ही असली दाद है | आशा है यह अनुराग बना रहेगा ,आशीर्वाद मिलता रहेगा |सादर आभार 

Comment by khursheed khairadi on January 15, 2015 at 11:31am

आदरणीय सौरभ सर ,आपका मेरी ग़ज़ल पर आना ही सौभाग्य की बात है ,उस पर आपका आशीर्वाद मिल जाना परम सौभाग्य है |सादर आभार |

Comment by khursheed khairadi on January 15, 2015 at 11:29am

आदरणीय विजयशंकर सर , मिथिलेश जी , हरिप्रकाश जी , सोमेश भाई ,आप सभी का स्नेह इसी तरह बना रहें |सादर आभार 

Comment by khursheed khairadi on January 15, 2015 at 11:26am

आदरणीय श्याम नारायण जी , आदरणीय गोपालनारायण सर ,आपका हार्दिक आभार |स्नेह बनाये रखियेगा |सादर |

Comment by somesh kumar on January 14, 2015 at 3:02pm

आपके सर पर चलो एक छत है तो सही

जी रहे हैं किस तरह बेघरों को देखिये

 सुंदर गज़ल ,हर मतला खुबसुरत 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 14, 2015 at 10:45am

आप मेरे पाँव के आबलों को देखिये

फिर मेरी तै की हुई दूरियों को देखिये---बहुत बढ़िया मतला 

दाद कबूलें इस सुन्दर ग़ज़ल पर |

 

Comment by umesh katara on January 14, 2015 at 8:03am

दुश्मनों की चाल से बाख़बर हरदम रहे

दोस्तों की भी ज़रा साज़िशों को देखिये
उम्दा गजल कही है सर वाह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service