For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - एक प्रयास

मेरा है तू दास रे जोगी
तेरे क्या है पास रे जोगी।

मौत हुई मेरी यहाँ पर क्यों
गहरा है ये राज़ रे जोगी।

शाम हुई मदहोश आज यहाँ
जैसे हो कुछ खास रे जोगी।

रहती है मेरी नज़र में तू
आँखों की इक प्यास रे जोगी।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 2:17am

डॉ ललित जी आपने गज़ल की गलत तक्तीअ कर दी है

सही तक्तीअ यूँ हैं -
२२ २२ २२ २२

Comment by Ketan Parmar on July 4, 2013 at 9:06pm

sAADAR SIR JI SUKRIYAA

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 4, 2013 at 6:08pm

मान्य बहर नहीं है फिर तख्ती’अ करके समरूप किया जा सकता है.

 कोई बुराई नहीं है, केतन जी. लेकिन शुरू में किसी आसान और मान्य बहर को ही चुने  

 

22  22     212   22

मेरा है तू दास रे जोगी
क्या है तेरे पास रे जोगी।

मौतों की जो  बात रे जोगी
कितना गहरा  राज़ रे जोगी।


जब होती है शाम तो देखो  
जैसे हो कुछ खास रे जोगी।

तुझको देखा दूर से जब भी

आँखों को है प्यास रे जोगी।

Comment by Ketan Parmar on July 4, 2013 at 2:11pm
Comment by वीनस केसरी on July 3, 2013 at 11:32pm

मतले से एक अच्छी शुरुआत हुई मगर अगले शेर पर ही ग़ज़ल लड़खड़ा गई और आगे का सफ़र उसी लडखडाहट में पूरा हुआ ..
तक्तीअ का अभ्यास ग़ज़ल लेखन का आवश्यक अंग है इसे समझने की महती आवश्यकता है
कहन पर उस समय बात संभव  है जब शिल्प से आगे बढ़ा जाए
भविष्य के लिए शुभकामाएं स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 3, 2013 at 9:06pm

सुंदर प्रयास हुआ है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 8:57pm

ग़ज़ल के आधारभूत विधान को यदि ग़ज़ल कहने के पूर्व देख लिया जाय तो ग़ज़ल सम्बन्धी कई अनियमितताएँ न हों.

ग़ज़ल की सर्वमान्य परिपाटी के अनुसार एक ग़ज़ल में मतले के अलावे कमसेकम चार शेर होने चाहिये.

मिसरों के शब्दों में बह्र के अनुरूप वज़्न हो. 

आपने जिस बह्र को अपनाया है उसका वज़्न दे दिया करें. इस आशय का अनुरोध इस मंच पर रचना पोस्ट करने के आवश्यक नियमों के क्रम में भी हुआ है.

शुभेच्छाएँ

Comment by Ketan Parmar on July 3, 2013 at 7:37pm

Sukriyaa

Dosto

Comment by Sumit Naithani on July 3, 2013 at 2:33pm

बढ़िया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2013 at 1:40pm
सुंदर रचना / हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service