बाबू राम नाथ पचहत्तर पार कर चुके हैं। शरीर अब जवाब देने लगा है। अभी कई दिन पहले जरा डाॅक्टर से चैक-अप कराने गये थे कि देर तक धूप में खड़ा रहना पड़ा । घर लौटते तेज़ बुखार हो गया। बेटा संयोग से इस वीक एन्ड पर सपत्नीक चला आया। दोनों बहनें जो अपने बच्चों के गर्मियो की छुट्टियों में आयी हुईं थी।सो डाॅक्टर को घर बुला लाया।
"हीट स्ट्रोक हुआ है', ङाॅक्टर बोला था। दवा दे गया था। अब आराम था। लेकिन कमजोरी बहुत थी। लू मानो सारा खून चूस गई थी। बाथरूम भी मुश्किल से जा पाते थे।
अभी कल रात एकाएक बिजली कई घंटे बाद आयी, साथ ही बहुत तेज़ कई बल्व जले अौर इन्वर्टर के बैंटरो में जोर का धमाका हुआ। चारों तरफ घर में बैंटरो के टुकड़े, धुआँ, सल्फर डाई आक्साइड गैस की बदबू फैल गयी। सभी जान बचाकर बाहर गली में भागे। धर्म-पत्नि पार्वती भी अपनी जान बचाते भुल गयी कि बाबू रामनाथ तो बिस्तर से भी नहीं उठ पाये होंगे। बेटियों ने अपनी जान बचाई, अपने छोटे बच्चों को बाहर घसीटा, होशो-हवास सम्भाले। आशवस्त हुई़ तो इधर उधर देखा। पड़ौसी क्या हुआ क्या हुआ शोर करते चले आ रहे थे।
"अरे तुम्हारे बाबू जी" पार्वती बोली | पड़ौस का एक लड़का टार्च लेकर अन्दर दौड़ा। इस बीच पनद्र मिनट बीत चुके थे। बाबू रामनाथ ने कोशिश तो बहुत की थी, लेकिन अँधेरे मे सिर दीवार से जा टकराया और कमजोरी तो थी, बेहोश हो गए थे। नीम बेहोशी में दम घुटने से चल बसे।
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
एक निवेदन ये है कि रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें ।
जनाब सुशील सरना जी
जनाब गुमनाम जी, आदाब, किसी भी रचना पर इतनी मुख़्तसर टिप्पणी देना ओबीओ की परिपाटी नहीं है, निवेदन है कि कृपया मंच की गरिमा का ध्यान रखें ।
मार्मिक यथार्थ आदरणीय।
एक सच,,,,,,, मानव व्यवहार,
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