For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे गप्पू ये तो अपने ही साहब हैं चल चल जल्दी.."

जैसे ही ट्राफिक लाईट पर गाड़ी रुकी, महज दस साल का टिंकू अपने छोटे भाई गप्पू के साथ दौड़ता हुआ कार की दाहिनी ओर आकर बोला,

“अरे साब आज आप इतनी जल्दी ?"

"रावण जलता देखना है ", साहब ने जल्दी से उत्तर दिया |

"अच्छा.. साहब गजरा.. ",

टिंकू के हाथ में गजरा देखते ही बगल में बैठी मेमसाहब बोली, "अरे ले लो,  कितने का है ?"

"चालीस रूपये का..", टिंकू ने तुरंत जबाब दिया ।

सुनते ही साहब तुनक कर बोले, "एक दिन में भाव बदल गए ? ये चालीस का हो गया ? कल तक तो बीऽऽऽ...", 

कहते-कहते साहब अचानक रुक गए ।

"साहब ! जब एक दिन में मेमसाहब बदल जाती हैं, तो भाव नहीं बदल सकते क्या ?"

बात पूरी होने से पहले ही साहब ने टिंकू के ऊपर चालीस रूपये फेंके और लगभग गजरा छीनते हुए उन्होंने गाड़ी बढ़ा दी ।

टिंकू फिर भी पीछे-पीछे दौड़ने लगा ।

गप्पू ने पूछा "भाई, जब उन्होंने पैसे दे दिए तो हम क्यों पीछे-पीछे भाग रहे हैं ?"

"अभी मजे देखना गप्पू, यदि ये मेमसाब इनकी घरवाली हुईं, तो गजरा अभी बाहर आएगा.."

बात पूरी भी नहीं हुई कि खटाक से गाडी से बाहर गजरा फेंक दिया गया । टिंकू ने दौड़ कर लपक लिया फिर प्रश्नवाचक भाव से देखते हुए गप्पू को आँख मारते हुए बोला, "अभी तू छोटा है रे.. नहीं समझेगा ये बड़े लोगों की बातें !!.. चल अपुन भी रामलीला मैदान चलें !.."


*****************


मौलिक एवं अप्रकाशित
 

Views: 1860

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2013 at 4:00pm

आदरणीया ..तारीफ के लिए शब्द नहीं हैं ..वर्तमान परिद्रश्य को दिखती , एक चुलबुलाहट, एक संकेत, भरपूर मनोरंजन .से भरी ...समग्रत से भरी इस शानदार रचना के लिए सादर बधाई स्वीकार करें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2013 at 10:31am

आदरणीय वीनस जी आपको लघु कथा गुदगुदा सकी ये इस प्रस्तुति की सार्थकता है आपका हृदय तल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2013 at 10:30am

प्रिय अरुन शर्मा लघुकथा में हास्य में छुपे मर्म पर आपका विश्लेषण बहुत सार्थक सटीक है हृदय से आभार आपको प्रस्तुति पसंद आई 

Comment by वीनस केसरी on October 11, 2013 at 12:28am

जय हो .... दिल खुश कर दित्ता ....

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 10, 2013 at 5:07pm

आदरणीया लघुकथा हास्यप्रद अवश्य है किन्तु इस हास्य के पीछे छुपा तथ्य अत्यंत गंभीर है, नवाबों का शौक अक्सर ऐसा होता है घर में बीबी के लिए समय नहीं और बाहर मौज मस्ती. सुन्दर चित्रण आदरणीया बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2013 at 12:09pm

आदरणीय बसंत नेमा जी आपको कथा रोचक लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ 

Comment by बसंत नेमा on October 10, 2013 at 11:26am

हा हा ह .......आदरणीया राजेश जी ... बहुत रोचक और हास्य प्रद कथा है ... पढ के दिमाग तरोकताजा हो गया ,,,,,,,,,,,,बधाई ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2013 at 10:50am

आदरणीय अखिलेश जी सच्चाई तो यही है कहते हैं ने दिए तले अँधेरा ,किन्तु कब तक छुपेगा एक न एक दिन तो बाहर आना ही है ,मैं अपनी लघु कथाओं का  अधिकतर अंत महिला को सशक्त बनने की प्रेरणा से करने की कोशिश करती हूँ ,आपकी इस उत्साहित करती टिपण्णी के लिए हार्दिक आभार  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2013 at 10:45am

आदरणीया वंदना जी इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2013 at 10:45am

प्रिय गीतिका जी चुहल आपको गुदगुदा पाई मेरा लेखन सफल हुआ ,हृदय  तल से आभारी हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service