मात्रा बह्र
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सोचा हमने तुमको इक ख़त लिख देंगे।
और तुम्हारी एक शिकायत लिख देंगे।।
ये जंग न हो दुनियाँ में मेरे मौला ।
दुनिया भर के नाम इबारत लिख देंगे।।
कर सकते हो हर एक खता दुनिया में।
हम ये तेरे नाम इजाजत लिख देंगे।।
मिलते मिलते बिछड़ा है वो भी मुझसे।
करता मेरा यार सियासत लिख देंगे।।
इक दिन मिट जायेगा पूरा ये ज़माना।
होगी जो मातम की सूरत लिख देंगे।।
दिल से तेरी यादे जाती ही कब है।
बनती जाती मेरी फितरत लिख देंगे।।
दिल तोडा था "केतन" का जिसने यारो ।
हम उनके ही नाम मुहब्बत लिख देंगे।।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
""ये जंग न हो दुनियाँ में मेरे मौला ।
दुनिया के ही नाम इबारत लिख देंगे।।...वाह ! बहुत खूब..शानदार शेअर , आदरणीय केतन जी..दिल से दाद कुबूल कीजिये
Aapka Sukriyaa Geetikaa ji Ye Ghazal Islaah ke liye upload ki hai maine yaha par aap sabhi mitro se guzarish hogi ke kuchh khamiyaa bhi nikale mujhe khushi hogi
कर सकते हो हर एक खता दुनिया में।
हम ये तेरे नाम इजाजत लिख देंगे।।,,, खास पसंद आया ये शेर !!
सुंदर गज़ल!!
बहुत खूब ...................
परवीन साहिबा, बसंत जी आपका आभार
मगर अभी काफी कुछ सीखना है बाकी
कृपया कुछ गलतिया हो तोह जरूर दर्शाए मुझे ख़ुशी होगी
बहुत खूब आ0 केतन जी ... सुन्दर अति सुन्दर
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