"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
मर्मस्पर्शी ..ह्रदय की गहराई में उतरती कविता के लिये हार्दिक बधाई लता जी !
बहुत ही प्रभावशाली रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीया लता जी
उफ़ उफ़ मर्मस्पर्शी रचना न जाने क्यूँ जब भी ऐसी रचनाएँ पढता हूँ एक अजब सी बेचैनी हो जाती है, मन भीतर से दुखने लगता है. आपको बधाई आदरणीया
आदरणीया लता तेज जी बेहद मार्मिक रचना बहुत बधाई आपको ।
बहुत ही मार्मिक रचना ढेरो बधाईयाँ आदरणीया लता तेजश्वर् जी
माँ मुझे जीना था -बहुत ही मार्मिक रचना बन पड़ी है, ढेरों बधाईयाँ लता जी | सादर
dhanyabaad adaraniya Dr Ashutosh Mishra ji
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR ji dhanayabaad .
Dhanyabaad Rajesh kumariji..
Adaraniya Bagi ji, yah to jivan ki ek sachchi kahani hai isse jitana uchhala jae utna hi dukh hoti hai lekin is marma sparshi rachana ko preshit kar mere man ki dukh Damaini ki roop me bahar nikali hai...sach kahe to aaj har ek stree Damini ki jindagi se ulajha kar rah gayi hai.. unhe uljhanon se bahar aane ko bahut samay bhi lag sakta hai aur aasha hai kal ke baad phir se streeyaan kuchh vishwas paa liye honge ki samaj abhi apahij nahi hui hai...use abhi jivan baaki hai ...yahi sochh unhe phir se ghar se bahar nikalane sahayata karegi... ye hamari taraf se Damini ke liye ek choti si shraddhanjali hai... Dhanyabaad rachana ko sarahane ke liya.
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