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हादसे --- डॉo विजय शंकर

हादसे होते रहते हैं ,
कवरेज होते रहते हैं,
लोग देखते रहते हैं ,
चि ची ची करते रहते हैं ,
बयान होते रहते हैं ,
बहस के शो होते रहते हैं,
संवेदनाओं के लिए
दौरे होते रहते हैं ,
आंसू पोछे जाते हैं ,
आंसू बहाये जाते हैं ,
आंकड़े दिखाए जाते हैं ,
कितने कम हो रहे हैं ,
बताये , गिनाये जाते हैं ,
कितने गुहार नहीं होते ,
वो , नहीं गिनाये जाते हैं ,
अदालतों में पड़े , बढ़ते केस
कभी नहीं बताये जाते हैं ,
फैसले भी कब होते हैं ,
कब गिनाये जाते हैं ,
न्याय के नाम पर कैसे
कैसे अन्याय हो जाते हैं ,
वो नहीं बताये गिनाये जाते हैं।
जग में हम कितने पीछे हैं ,
अपराध में तो और पीछे हैं ,
यह गर्व से बताया जाता है ,
हम पीड़ित के घर , साथ हैं
फोटो में दिखाया जाता है ,
कितना वक़्त ,कितना रुपया
बहाया, यह नहीं बताया जाता है ,
अगले हादसे में पहले वाले को
कभी नहीं दोहराया जाता है ,
वही शिष्टाचार दोहराया जाता है ,
अगला अपराध न हो , थम जाए ,
ऐसा कदम नहीं उठाया जाता है ,
अपराध रोका नहीं जा सकता है
भगवान के द्वारा भी नहीं , यह
घोषित कर के बताया जाता है ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 571

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Comment by Dr. Vijai Shanker on April 17, 2015 at 5:04am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बहुत सही विवेचना की है आपने , आभार, आपकी बधाई , सद्भावनाओं के लिए धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2015 at 11:07pm

आदरणीय विजय भाई , वास्तव में यही सब तो हो रहा है , और कोई इलाज भी नहीं है इस  होने का , ऐसा लगता है । सच्चाई बयान लरने के लिये हार्दिक बधाई आपको ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 16, 2015 at 9:06pm
बहुत सही अंश जोड़ा आदरणीय आपने , आभार , आदरणीय लक्षमण रामानुज लडीवाला जी, प्रशस्ति ले लिए बहुत बहुत धन्यवाद, सादर .
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2015 at 6:25pm

हादसें होते रहे  है, होते  रहेंगे - कुछ शान  शौकत के वास्ते, कुछ टी आर  पी के वास्ते, और कुछ ध्यान  बटाने के वास्ते |सामाजिक सरोकार से जुडी सुंदर  रचना के लिए बधाई डॉ  विजय शंकर जी 

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 16, 2015 at 6:14am
आदरणीय श्री सुनील जी, आपकी प्रतिक्रिया भी सटीक और सशक्त है , आपका बहुत बहुत आभार , बधाई हेतु भी धन्यवाद , सादर।
Comment by shree suneel on April 16, 2015 at 2:03am
आदरणीय डा0 विजय शंकर सर, आज जो हो रहा है, चल रहा है उसका सशक्त चित्रण किया है आपने. इस सार्थक रचना के लिए बधाई आपको.
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 11:03pm
प्रिय कृष्ण मिश्रा जी , रचना पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु आभार और बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 11:01pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , रचना पर आपकी प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार , बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 15, 2015 at 10:59pm
जी बहुत सही अभिव्यक्ति है आपकी , आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी , आभार , आपकी सराहना के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 15, 2015 at 10:50pm

आदरणीय विजय सर! सामाजिक सरोकार से जुडी बेहतरीन कविता पर ढेरों बधाई!

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