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माँ परियों की रानी है -- डॉo विजय शंकर

मातृ-दिवस पर

माँ
जिसके बिन जन्म नहीं
सुरक्षा है, सुकून है ,
शान्ति हैं ,
ज्ञान है , संस्कृति है ,
एक पूर्ण परिवेश है ,
अबोथ के लिए ,
अपना विश्वकोष है ,
ईश्वर का वरदान है।
नैसर्गिक अधिकार है ,
अमूल्य है, मूल्यरहित
उपहार है.

स्वर्ग में ,
अप्सराएं प्रतीक्षा करतीं हैं ,
स्वर्ग जाने पर मिलती हैं ,
किसने देखा है,
किसने जाना है ?

धरती पर आने पर
सबसे पहले माँ मिलती है,
माँ प्रतीक्षा करती मिलती है ,
महीनों माँ ,
दिन गिनती है,
पल गिनती है,
फिर पल पल गिनती है ,
हर पल पुलकित होती है,
वह किस अप्सरा से कम है ,
वह तो परियों की रानी है ,
उसी से तो परियों की कहानी है ,
ये सबने देखा है,
ये सबने जाना है ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2015 at 8:49pm
आदरणीय विजय निकोर जी, मातृ - दिवस पर प्रस्तुत माँ को समर्पित पंक्तियों को स्वीकृति एवं सम्मान प्रदान कर आपने आभारी बना लिया, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2015 at 8:47pm
आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा जी, मातृ - दिवस पर प्रस्तुत माँ को समर्पित पंक्तियों को इतने सुन्दर और विस्तृत ढंग से स्वीकृति एवं सम्मान प्रदान कर आपने आभारी बना लिया, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2015 at 8:45pm
आदरणीय मोहन सेठी जी, मातृ - दिवस पर प्रस्तुत माँ को समर्पित पंक्तियों को स्वीकृति प्रदान कर आपने आभारी बना लिया, सादर।
Comment by vijay nikore on May 12, 2015 at 4:38pm

 बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई, आदरणीय विजय जी।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 12, 2015 at 2:24pm

आदरणीय विजय सर ...

धरती पर आने पर
सबसे पहले माँ मिलती है,
माँ प्रतीक्षा करती मिलती है ,
महीनों माँ ,
दिन गिनती है,
पल गिनती है,
फिर पल पल गिनती है ,
हर पल पुलकित होती है,
वह किस अप्सरा से कम है ,
वह तो परियों की रानी है ,
उसी से तो परियों की कहानी है ,...ये पंक्तियाँ अद्भुत हैं ..भाव पूर्ण ..आपकी सोच को सादर सलाम करते हुए सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 12, 2015 at 11:05am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें ...सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2015 at 10:59am
आदरणीय समर कबीर साहब , माँ को मातृ - दिवस पर समर्पित पंक्तियों को आपकी स्वीकृति मिली , आपका आभार. आपकी दाद एवं बधाई के लिए धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2015 at 10:56am
आदरणीय सुश्री तनुजा उप्रेती जी , आपने बिलकुल सही कहा , " मातृत्व को सम्पूर्ण परिभाषित कर पाना संभव नहीं " , पंक्तियों को आपकी स्वीकृति मिली , आपका आभार. धन्यवाद, सादर।
Comment by Samar kabeer on May 12, 2015 at 10:36am
आली जनाब डॉ विजय शंकर जी ,आदाब,माँ को समर्पित रचना को अच्छे शब्दों से सवारा है आपने,दाद के साथ बधाई स्वीकार करें।
Comment by Tanuja Upreti on May 12, 2015 at 10:00am

मातृत्व को सम्पूर्ण परिभाषित करना पाना संभव नहीं  पर उसको काफी हद तक आपने अपनी रचना में चरितार्थ किया है I बधाई आदरणीय I

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