दोनों बुराई के लिये लड़ रहे थे, एक दूसरे पर खूब कीचड़ उछाल रहे थे ।
देखने वालों ने समझा दोनों बुराई मिटा के रहेंगे ,
जब कि वो दोनों बुराई पर अपना अपना हक़ जता रहे थे।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय विजय भाई , आपकी कथा एक कटु सत्य कहती लगी , बुराइयों पर अपना अपना हिस्सा पाने की ही लड़ाई चल रही है अभी । हार्दिक बधाई आपको ।
कुछ रचनाएँ सभी देश, काल और वातावरण के सापेक्ष कालजयी ही है. इस रचना को उसी श्रेणी में माना जाना उचित प्रतीत होता है...
आदरणीय डाॅ. विजय शंकर जी। आपकी बातें सही है लेकिन किस बुराई के बारे में कहा गया है यह कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। कहीं संसद में हो रहे गतिरोध भाजपा और कांग्रेस के आपस में एक दूसरे पर कीचड उछालने पर तो यह कथा नहीं है? लघुकथा किसी घटना या दुर्घटना में से ही तो बनती है। अगर वो स्पष्ट हो जाए तो कथा को समझने में बहुत मदद मिलेगी। सादर
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