For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पहुँच-मार्ग --- डाo विजय शंकर

विद्यालय का भवन बन कर तैयार था, आज उसके अधिग्रहण की कार्यवाही हो रही थी , सब लोग नवनिर्मित-भवन के राउंड पर थे। प्राचार्य जी, दबी जबान बड़े इंजीनियर साहब को कमियां गिनवा रहे थे , बाथरूम में फर्श पर पानी रुक रहा है, सर, बहुत सी खिड़कियों के दरवाजे बंद ही नहीं हो रहें हैं, और सर.…… , सबसे बड़ी बात, मुख्य सड़क से भवन तक पहुंच- मार्ग तो अभी बना ही नहीं , उसे जरूर बनवा दीजिये सर.
" अरे आप तो व्यर्थ परेशान हो रहे हैं , प्रिंसिपल साहब, पहुंच- मार्ग तो स्टूडेंट्स के चलने से अपने आप बन जाएगा , इतना नहीं देखा जाता, फिर आपको तो मालूम ही है, भवन का अधिग्रहण तो आज ही होना है , ऊपर से आदेश हैं, " इतना कहते-कहते बड़े इंजीनियर साहब का एक पैर प्रस्तावित पहुँच-मार्ग में नैसर्गिक बने हुए गढ्ढे में आ गया , वे असीम दर्द से कराह उठे , बेचारे खड़े नहीं हो पा रहे थे , दो लोगों ने सहारा दिया तो खड़े रह सके , वहीँ गाड़ी मंगवाई गई और वो किसी तरह उसमें लद गए. जाते-जाते दर्द भरी आवाज से कह गए , " प्रिंसिपल साहब आप आज की डेट में ही अधिग्रहण के पेपर्स साइन दीजिये , मैंने ही पेपर्स तैय्यार करवाये हैं, भवन ए-वन ओके है, कल मेरा आदमी उन्हें हेक्वाटर्स में पहुंचा आएगा।"
चोट खाए बड़े इंजीनियर साहब चले गए , प्रिंसिपल साहब उनकें द्वारा छोड़ कर गए अधिग्रहण के पेपर्स जल्दी-जल्दी साइन कर थे , इंजीनियर साहब का स्टाफ उन पर हावी था, सर , देर हो गयी तो हमारी जिम्मेदारी नहीं।
प्रिंसिपल साहब बीच-बीच में पढ़ भी रहे थे , भवन पूर्णतया सुसज्जित था , पहुंच-मार्ग चौड़ा पक्का बना था।
पेपर्स जाने के बाद विद्यालय के सब लोग बहुत दुखी थे कि इंजीनियर साहब कितने अच्छे आदमी थे , इतनी चोट खाकर भी तत्परता से काम करते रहे , नहीं तो आज प्रिंसिपल साहब को पता नहीं हेडक्वॉटर्स से कितनी डाँट पड़ती।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2015 at 10:09am
आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, प्रशस्ति हेतु आपका आभार धन्यवाद, सादर.
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2015 at 10:08am
आदरणीय तेजवीर सिंह जी, प्रशस्ति हेतु आपका आभार धन्यवाद, सादर.
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 18, 2015 at 8:37am

बड़ा ही जीवंत चित्रण किया है आपने ...यही तो हो रहा है आजकल!

Comment by TEJ VEER SINGH on July 17, 2015 at 10:32am

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी,लघुकथा के माध्यम से समाज में व्याप्त अनैतिकता का अच्छा वर्णन किया है !हार्दिक बधाई!

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 17, 2015 at 9:36am
प्रिय मिथिलेश जी , लघुकथा को स्वीकृति प्रदान करने एवं उस पर विस्तृत टिप्पणी लिखने के लिए आपका ह्रदय से आभार, धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 11:01pm

आदरणीय विजय शंकर सर, सरकारी व्यवस्था और कार्यप्रणाली की तहों को खोलती बढ़िया लघुकथा हुई है. कितने प्रोजेक्ट है जो केवल कागजों पर ही होते है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 16, 2015 at 7:58pm
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी, सही कहा आपने , इस व्यवस्था में जो बेईमान नहीं है वह भी ईमानदार रह नहीं सकता , उसे सिर्फ इसलिए बेईमान बनना पड़ता है कि देर हुयी तो खैर नहीं। आपकी सद्भावनाओं के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by विनय कुमार on July 16, 2015 at 7:38pm

बहुत अच्छे से सरकारी महकमे की कार्यप्रणाली को दर्शाया है आपने आदरणीय डॉ विजय शंकर जी इस लघुकथा में , बधाई | 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 16, 2015 at 5:53pm
रचना की स्वीकृति के लिए बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , आदरणीय मोहन सेठी जी, सादर।
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 16, 2015 at 3:44pm

सही कहा आपने ...कागज़ की कारवाही पूरी होनी चाहिये ...चलो कुछ तो बना था वर्ना यहाँ तो सिर्फ़ कागज़ पे बन जाता है और टूट भी जाता है .....सटीक व्यंग ....सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
6 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service