For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दूर दामन से तेरे गर्दिश-ए-अय्याम रहे - SALIM RAZA REWA

2122 1122 1122  22/112

ये हमारी है दुआ शाद तू गुलफा़म रहे

दूर ही तुझसे सदा गर्दिश-ए-अय्याम रहे
-
सारी दुनिया में तेरे इल्म की महके ख़ुश्बू
जब तलक चाँद सितारें  हों तेरा नाम रहे
-
इस तरह तेरे तसव्वुर में मगन हो जाऊँ
मुझको अपनों से न ग़ैरों से कोई काम रहे
-
जब तेरी दीद को हम शहर में तेरे पहुंचें
अपने दामन से न लिपटा कोई इल्ज़ाम रहे
-
तेरी ख़ुशहाली की हरपल ये दुआ करते हैं 
तेरे  दामन  में  ख़ुशी  सुब्ह रहे शाम रहे 
-
हर क़दम मेरा उठे तेरी रज़ा की ख़ातिर
मेरे  होंटो  पे   हमेशा  तेरा  पैगाम  रहे
_________________
मौलिक एवँ अप्रकाशित

_________________________

Views: 1293

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 10:08pm
आ. सुरेंद्र नाथ जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 10:08pm
जनाब समर साहिब आपकी दोबारा महब्बत के लिए शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 10:06pm
जनाब तस्दीक साहब,
इनायत के लिए शुक्रिया
Comment by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 12:51pm

आद0 सलीम जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने।बहुत बहुत मुबारक आपको। 

हम सब की दुआ है कि जनाब समर साहब हमेशा स्वस्थ रहें। सादर

Comment by Samar kabeer on February 3, 2018 at 11:41am

आप सब की दुआओं का नतीजा है कि फिर अपने प्रिय परिवार ओबीओ की ख़िदमात के लिए हाज़िर हूँ ।

मतले का सानी मिसरा यूँ करलें तो बहतर होगा:-

'दूर तुझसे ये सदा गर्दिश-ए-अय्याम रहे'

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2018 at 8:59am

जनाब सलीम रज़ा साहिब , मतला बहुत अच्छा हो गया है ,ग़ज़ल में भी चार चांद लग गए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें। मश्वरे का मान देने का शुक्रिया।

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:20am

बृजेश जी आपकी  ग़ज़ल पर शिर्कत और हौसला अफज़ाई के लिए दिली शुक्रिया 

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:19am

अफ़रोज साहिब बहुत

आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया 

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:18am

विजय साहिब आपका तहे दिल से शुक्रिया. 

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:17am

जनाब तस्दीक़ साहब,

आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और हर एक शेर को पढकर मशविरा और तारीफ़ के लिए शुक्रिया.. आप यूँ ही अपना करम नाचीज़ पर बनाए रखे....

दोबारा मतला आपको नज़र है.. दोबारा दूआएँ चाहूंगा... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service