ताकत झांकत लूटत पाटत,छीनत बीनत नोट फटा फट !
लोगन की परवाह नहीं अरु ,चाट रहे सब देश चटा चट!!
दौड़त भागत घूम रहे अरु, खाइ रहे सब कोष गटा गट !
बन्दर बांट करें फिर झूमत ,आपन लूट बढ़ाइ झटा झट !!
राम शिरोमणि पाठक"दीपक
मौलिक /अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीया अनुपमा जी //ऐसे ही स्नेह बनाए रखें //सादर
वाह! राम शिरोमणि जी बहुत ही बढ़िया पंक्तियों मे आपने समस्त सार लिख दिया बहुत बधाई इस सुंदर रचना के लिए ।
हार्दिक आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी ///सादर
हार्दिक आभार आदरणीया विनीता जी ///सादर
हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी ///सादर
हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ///सादर
वाह बहुत मजेदार लिखा प्रिय राम शिरोमणि जी बधाई लो फटाफट इस सच्चाई के लिए
रोचक एवं प्रभावी प्रस्तुति. बधाई.
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