For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं कौन हूँ
अब तक मैं अपना  
पहचान ही नहीं पा सका 
भीड़ में दबा कुचला व्यथित मानव 
दड़बे में बंद फड़फड़ाता परिंदा 
या पेट भरने के लिए मांस नोचता चील

मैं कौन  हूँ ?
अब तक मैं अपना 
पहचान ही नहीं पा सका
हँसता हुआ  बेफ़िक्र  शिशु 

अख्कड़  गली में  दौड़ता  किशोर 
बलिष्ठ  जवानी जिसने की दुःख देखा हो 
या चिंता के बोझ से दबा गृहस्थ 
जो रात के खाने की चिंता में 
गला जा रहा है
अथवा
अपने जीर्ण-शीर्ण स्थूल शरीर
का भार बेंत पर टिकाया हुआ वृद्ध
जो की निष्कासित कर दिया गया है
न्यू जेनरेशन के हाथों
जिसका सपना बुना था उसने ही 
मन्नतें  मांग-मांग कर
उपवास कर-कर के
जिस बृक्ष  को लगाया था उसने
अपने खून पसीने से सिंच कर
आज जब उसके  छाँव  में 
बैठने का वक्त आया
तो बृक्ष में पत्ते नहीं
उसके बचे हुए खून को चूसने वाले
कांटे पनप रहे हैं।

मैं कौन  हूँ ?
अब तक मैं  अपना  
पहचान ही नहीं पा सका
गली के नुक्कड़  पर मांगता
अन्न का दाना भूख मिटाने के लिए
असहाय बीमार खांसता  
जीने के डर से मरने के लिए
या बाज़ार में भागता शिशु रोटी ले के
अपने छोटी बहन के भूख मिटाने के लिए
वो तो खुद आठ वर्षीय समझदार है
भूख सह भी लेता
पर सह नहीं सका सहोदर का दर्द
क्योंकि अनाथ का माँ-बाप तो भेट चढ़ गये
राक्षशी भूख के 
अब लगाए  फिरता है अपने हृदय से
उनके हृदय के टुकड़े  को।

मैं कौन  हूँ ?
अब तक मैं अपना  
पहचान ही नहीं पा सका
अनपढ़ सिर खुजलाता
देखकर दुनिया की  चकाचौंध 
कुएँ  के मेंढक सा 
जिसने की बाहर कभी
सूर्य की रोशनी देखी  हो 
या ऊछलता कूदता अपनी विद्वता पर 
फूला हुआ अधकचड़ा 
पक्का कच्चा 
अल्प शिक्षित  
ढोल सा खाली  बड़बड़ाता गपोड़ी 

मैं कौन हूँ ?
अब तक मैं अपना
पहचान ही नहीं पा सका ..........

 

(मौलीक अप्रकाशित)

Views: 296

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on February 7, 2023 at 1:07pm

हार्दिक धन्यवाद भाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी और भाई आदरणीय Samar Kabeer जी, आप का मार्गदर्शन इसी तरह से सदैव मिलता रहे। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2023 at 3:40pm

आ. भाई मनु जी, अभिवादन। अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

भाई समर जी की बात का संज्ञान लें।

Comment by Samar kabeer on January 29, 2023 at 2:46pm

जनाब 'मनु' जी आदाब , अच्छी रचना हुई है, बधाई सवीकार करें I 

टंकण त्रुटियाँ देख लें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
12 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
31 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
38 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
57 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"किस को बताऊँ दोस्त  मैं क्या याद आ गया ये   ज़िन्दगी  फ़ज़ूल …"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जी ज़रूर धन्यवाद! क़स्बा ए शाम ए धुँध को  "क़स्बा ए सुब्ह ए धुँध" कर लूँ तो कैसा हो…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया। अच्छा मतला हुआ। ‘सुनते…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
3 hours ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service