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जगदानन्द झा 'मनु''s Blog (5)

मैं कौन हूँ

मैं कौन हूँ

अब तक मैं अपना  

पहचान ही नहीं पा सका 

भीड़ में दबा कुचला व्यथित मानव 

दड़बे में…

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Added by जगदानन्द झा 'मनु' on February 13, 2023 at 9:16am — 3 Comments

धुँध

मैं धुँध को नहीं चीर सका तो क्या
आगे बढ़ने कि कोशिश तो की
कुछ कदम आगे मैं बढ़ा
सूरज भी कुछ कदम आगे की
मेरे सिर पर विजय मुकुट था
घटी चादर ज्योँ ही धुँध की


यह सोच गर मैं घर में रहता
धुँध बहुत हैं छायी
चलो रजाई तान कर सोएँ
बहुत सुहाबना मौसम हैं भाई
मेरे भाग्य की कलियाँ बंद होती
सूरज क्योंकर साथ मेरा देता
किसी अन्धेरे कोठरी में
मेरा नाम भी गुम गया होता


(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by जगदानन्द झा 'मनु' on April 28, 2014 at 4:30pm — 4 Comments

मैं न जाने कहाँ खो गया

ढूंढने गया मैं खुद को

बाज़ार में

मैं न जाने कहाँ खो गया

चाँदी की खनक में

सोने की दमक में

मैं न जाने कहाँ खो गया



क्यों आया हूँ यहाँ

मैं क्या हूँ ?

मैं भूल गया

इस चमक-दमक की दुनियाँ में

मैं खुद को ही भूल गया



मैं भूल गया

मेरे हाथों में

कलम की ऐसी ताकत थी

ऊपर वाले की देन कहें

या हृदय की मेरी गागर थी



चलती थी

मेरी अश्रु स्याही से

भावो के मोती विखेरने को

समराग्नी की ताकत रखती थी

नव-निर्वाण की हुँकार…

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Added by जगदानन्द झा 'मनु' on June 23, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

गीत -मैं भी कुछ सुनाऊँ तुमको, जो एसी भी शक्ति दी होती

मैं भी कुछ सुनाऊं तुमको,

जो ऐसी भी शक्ति दी होती



हे माँ तेरी चरणों में,

कुछ मेरी भी अर्जी तो होती



मैं दीन हूँ माँ समझो,

पर हीन न समझा करो



सीने से न अपने सही,

चरणों से न दूर करो



मैं पुत्र कुपुत्र हूँ माँ,

समझा न तेरे मन को



तुम तो माँ कुमाता नहीं,

समझो तो मेरे मन को



थोड़ा मुझ को भी दे दो माँ,

स्नेह अपनी झोली से तुम



है माँ बेटे का नाता,

माँ खोयी हो कहाँ तुम | …

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Added by जगदानन्द झा 'मनु' on June 7, 2012 at 1:00pm — 6 Comments

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

कभी बन आँखों में आँसू

कभी बन दिल में कसक

रातों को जगाने सपनों में

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

मैं अपने गाँव का, गाँव मेरा है

उसके सपने सारे सपने मेरा है

होता हूँ जब अकेला चुपके से आता है

मुझे मेरा गाँव याद अब भी आता है

मैं अपने गाँव को सम्हालूँगा

मैं अपने सपनों को फिर से सजाऊंगा

टूटा हुआ तारा हूँ मैं जिस गाँव का

फिर से…

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Added by जगदानन्द झा 'मनु' on June 6, 2012 at 5:30pm — 12 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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