माना नज़र है तेरी ख़रीदार की तरह
लेकिन न लूट तू मुझे बाज़ार की तरह
रिश्ते बिगड़ते देर तनिक भी नहीं लगे
गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह
वो तो चुनाव जीत के परधान बन गया
जो घूमता था गाँव में बेकार की तरह
वादा तो कीजिये नहीं और कर दिए अगर
वादा खिलाफी हो नहीं सरकार की तरह
देते हैं भाव नेता चुनावों के वक़्त पर
और फेंक देते बाद में अख़बार की तरह
शाइर हूँ सच कहूँगा भले हुक्मरान ये
फाँसी चढ़ा दें मुझको गुनहगार की तरह
चहरा कुरूप हो भले ख़ुद का मगर जनाब
दुल्हन सभी को चाहिए गुलनार की तरह
दारू किसी के जब लगे सर चढ़ के बोलने
इंसाँ वो झूमता है अदाकार की तरह
मूछों प ताव देता है दूल्हे का बाप पर
दुल्हन का बाप दिखता है लाचार की तरह
नाथ सोनांचली
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी उपस्थिति मेरे लिए एक इनआम है। हृदय की गहराइयों से आभार आपका
जनाब नाथ सोनांचली जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।
आद0 बृजेश कुमार 'ब्रज' जी सादर अभिवादन। आभार आपका आदरणीय
आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। आभार आपका
क्या ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय सोनांचली जी...
आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online