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आशिकों को इस कदर दिलदार होना चाहिए

 

 

दिल  लगाना   हमने  सुना   है , एक गुनाह  है  यहाँ  

 सारी  दुनिया  को  फिर तो  गुनाहगार  होना  चाहिए ..

 

 

सुना  है , मजा    है बहुत , महबूब  के  इन्तजार  में  

ताउम्र  फिर  उसका  ही  इन्तजार  होना  चाहिए  ..,

 

टूट  रहे  हैं  डोर  रिश्तों  के बहुत  रफ्तार       से   

इस कदर   भी  नही  रिश्तों  में  दरार  होना  चाहिए  ..,

 

चंद  सिक्कों  ने  लुटा  है  नीद  और  सपने  यहाँ  

सिक्कों  का  शोर  नही     इतना  भी  असरदार  होना  चाहिए  ,

 

कायदे  तोड़े  हमने  हैं  यहाँ अपनी  मर्जी  से  सब  

 कुछ  तो  खुदा  पर  भी  तो  ऐतबार  होना  चाहिए  ,

 

दर्द  होता  है  बहुत,   देख,  जानवरों  को  गले  लग   रोते   हुए  

इंसानियत   से  हमे  क्या  इस  कदर  बेजार  होना  चाहिए   ?

 

बिक  गये  कुछ  इमां  जो  भी  बचे  थे  यहाँ  

गजलों को ही कम से कम  इमानदार  होना  चाहिए ,

 

खुद  को  कब  तक  बरगलायेंगे   आप  ये तो  बताईये  जनाब  

खुद  से  तो  कम  से  कम  वफादार  होना  चाहिए  ,

 

उलझ  कर  लटों  में  भी  दिल  न  नापाक  हो  कभी  

आशिकों  को  इस  कदर  दिलदार  होना  चाहिए  ,

 

खून  से  लिख  दे  गजल  जब  वतन  खतरे  में  हो ,
 शायर के लहू का हर कतरा देश का कर्जदार होना चाहिए ,
 
 
दुनिया में रह दुनिया वालों से प्यार होना चाहिए ,
इश्क  है  तो  इश्क  का  इजहार  होना  चाहिए 
 
 

 

 

 

 

 

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Comment by siyasachdev on October 2, 2011 at 5:04pm

achha pryaas hain thodha sa bahar ka khyaal rakhe...bhav ache hain aapke bahut...

Comment by Abhinav Arun on October 2, 2011 at 3:24pm

श्री राजीव जी ! आपके विचार और भाव बहुत गहरे हैं लिखते रहिये हुनर को मांजने में कुछ वक़्त तो लगता है कहा गया हैं न ..

" प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है ,

   नए परिंदे को उड़ने में वक़्त तो लगता है "

hardik shubhkaamnayen !!

Comment by Rajeev Kumar Pandey on October 2, 2011 at 2:05pm

bhai aashish ji hum chahenge ki aap is gajal ko sudhar kar hme mail kar dein taki hmee sikhne ka mauka milega .. kyunki likhte waqt hme jo shi lga tha hmne likha tha.. aur padhte waqt mujhe ye shi lga pura krne ke baad,aur apni galti khud pakadna muskila ai jra mee liye .. .. baki bura manne wali bat nhi hai..bas hUM  change ki aap is sudhar kr hme mail kar dein.. meri id hai rkpindia1987@gmail.com

bak gajl pe dhyan dene ke lye shukriya

agrim dhnywad sahit .

Comment by आशीष यादव on October 2, 2011 at 12:35am

सुन्दर भावों में ग़ज़ल कहने का खुबसूरत प्रयास किया है आपने| लेकिन अपनी इन्ही पंक्तियों को आप अमल कर ग़ज़ल लिखे तो सच में आप बहुत अच्छा लिख सकते हैं|

"कायदे  तोड़े  हमने  हैं  यहाँ अपनी  मर्जी  से  सब"

कुछ कायदा टूटता हुआ सा मालूम हो रहा है बहर का, बुरा न मानियेगा प्लीज, मुझे भी बहुत जानकारी नहीं लेकिन जितना है बता देता हूँ|

"खुद  को  कब  तक  बरगलायेंगे   आप  ये तो  बताईये  जनाब"

इन पंक्तियों पर मै ये कहूँगा की ये बहुत अच्छी है, लेकिन आप इनसे ये अमल कीजिये की आप कब तक बिना बहर ग़ज़ल लिखेंगे| बरगलाना उचित तो नहीं है, है ना|

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 1, 2011 at 10:54am

भाई राजीव कुमार जी, आपकी इस ग़ज़ल के भाव अच्छे है .....इस प्रयास के लिए आपको बहुत बहुत बधाई ....यदि आप थोडा सा श्रम करें तो यह नियमों का पालन करके ग़ज़ल के शिल्प में बाँधी जा सकती है .......उदाहरण के लिए -

कायदे  तोड़े   हैं  हमने अपनी  मर्जी  से  सभी,

कुछ तो अपने आप पर ऐतबार  होना चाहिए|

आशा करता हूँ कि आप इस दिशा में प्रयास अवश्य करेंगें और आपकी यह पूरी की पूरी ग़ज़ल ही शिल्प में होगी .......बहर के लिए इसे इस गीत की धुन में गाकर लिखें ....."आपकी नज़रों नें समझा प्यार के काबिल मुझे ..."

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