For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहाँ जाऊं ......कहाँ जाऊं.....????

मैं घायल सा परिंदा हूँ कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं,

हैं पर टूटे मैं सहमा हूँ कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.

.

यही किस्मत से पाया है, जो अपना था पराया है,

परीशां हूँ मैं तनहा हूँ कहाँ जाऊँ कहाँ जाऊँ

.

भले तपता ये सहरा हो, तुम्हें अपना बनाया तो,

घना साया सा पाया हूँ कहाँ जाऊँ कहाँ जाऊँ

.

तुम्ही से जिंदगी मेरी, तुम्ही से हर ख़ुशी मेरी,

तुम्हें छोडूं तो जलता हूँ, कहाँ जाऊँ कहाँ जाऊँ

.

मेरी गजलें अधूरी थी, तुम्हें पाया तो पूरी की,

मैं सब कुछ तुम से पाता हूँ, कहाँ जाऊँ कहाँ जाऊँ

.

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on February 13, 2012 at 7:00pm

जी  नहीं,,,,, पिछले शेर से मफहूम नहीं लिया जा सकता
हर शेर में स्वतंत्र रूप से बात पूरी होनी चाहिए

भाव पक्ष के लिए मैं यह सोचता हूँ कि प्राथमिकता अपनी संतुष्टि को देनी चाहिए
यदि आप संतुष्ट हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योकि १० लोग पसंद करेंगे तो २-३ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जिनको रचना जियादा पसंद ना आये

आपने शेर के मिसरा ए ऊला में भी काफिया को निभाने की कोशिश कैसे की है समझ नहीं पाया ...

Comment by इमरान खान on February 13, 2012 at 4:47pm

वीनस भाई मैं शुक्रगुज़ार हूँ आपका ... मुझे भी ये ग़ज़ल गुनगुनाने में ही ठीक लगती है...  आपका मार्गदर्शन मुझे आनंदित कर रहा है...

आपने जो चौथे शेर की बात की है .. दरअसल मैंने तीसरे शेर में जो कहना चाहा है के  'आप मुझे जलते सेहरा में साए की मानिंद पाए हैं' ... सहरा में तो साया मिल गया .. चौथे शेर में भी मैं उसी बात को जारी रखने की कोशिश कर रहा हूँ...  
मेरी उत्सुकता है के क्या फिछले शेर से मफहूम नहीं लिया जा सकता?

वैसे जलने का मतलब 'दिल जलने' से भी तो होता है ... जैसे कहते हैं के तुमने अगर मुझे छोड़ दिया तो मेरा दिल जलता रहेगा... एक गाना भी याद आया .. 'जिया जले जाँ जले .....'



दूसरे इस ग़ज़ल मैं मैंने हर शेर के मिसरा ए ऊला में भी काफिया को निभाने की कोशिश की है .. इसके बारे में कुछ बताइए, कुछ फर्क पड़ता है या नहीं इस बात से?

Comment by वीनस केसरी on February 12, 2012 at 3:06pm

वाह वाह वाह
उम्दा
रदीफ "कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं" में जो दोहराव आ रहा है वह शेर में अतिरिक्त आनंद दे रहा है
अच्छे शेर हुए हैं
हार्दिक बधाई
गुनगुनाकर पढ़ने में ग़ज़ल आनंददायक है


एक बात महसूस हुई है तो उसे कहने से खुद को रोक नहीं पा रहा हूँ

तुम्हें छोडूं तो जलता हूँ, चौथे शेर में जस्टीफाई नहीं हो पा रहा है  यदि इस बात को यदि तीसरे शेर में पिरोया जाता तो तीसरा शेर और अच्छा बनता क्योकि उसमें सहरा की बात की गई है

जैसे -

भले तपता है यह सहरा, घना साया मिले हो तुम

तुम्हें छोडूं तो जलता हूँ कहाँ जाऊँ कहाँ जाऊँ


सादर

Comment by इमरान खान on February 12, 2012 at 11:12am

@ नीरज जी
@ अविनाश जी
@ राज शर्मा जी
आप सभी की हसला अफजाई के लिए में शुक्रगुज़ार हूँ.. :))

Comment by इमरान खान on February 12, 2012 at 11:11am

मोहतरम गणेश जी बागी साहब... आपके शब्दों ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया है... आपके इस और इसी तरह के अनुमोदन मेरे जैसे नौसिखिये के लिए प्रेरणा का स्रोत साबित होते हैं... आपका हार्दिक धन्यवाद् :)

Comment by इमरान खान on February 12, 2012 at 11:08am

@मुकेश भाई दर्द की इन्तहा के बाद ही तो ख़ुशी का भी एहसास होता है... शुक्रिया आपका..

Comment by राज लाली बटाला on January 7, 2012 at 9:24am

wah Bahut khoob!

Comment by AVINASH S BAGDE on January 5, 2012 at 9:02pm

shandar


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 2, 2012 at 9:06pm

इमरान भाई , लम्बे रदीफ़ के साथ ग़ज़ल को निभा जाना मामूली बात नहीं है, सभी शेर भी ठीक ठाक निकाले है, बधाई स्वीकार करे |

Comment by Mukesh Kumar Saxena on January 2, 2012 at 6:11pm
itna dard kaha se laye. Dil ko choo liya.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service