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महेश कोचिंग जाने के लिये तैयार हो रहा था कि तभी उसके पिता श्यामल बाबू ने उसे आवाज दी| "जी पिताजी" महेश ने उनके पास जा के पूछा| "हाँ महेश, सुनो मेरा तुम्हारी माँ के साथ झगडा हो गया है, वो कल उसने पकौड़े थोड़े फीके बनाये थे न, इसी बात पर| इसलिए आज सारा दिन तुम घर में बंद रहोगे और बाहर नहीं निकलोगे और यदि तुमने बाहर निकलने की कोशिश की, तो मैं तुम्हारे कमरे को पूरा तोड़-फोड़ दूंगा|" श्यामल बाबू इतना कह के चुप हो गये|

महेश ने हैरानी से अपने पिता को देखते हुए कहा - "पिताजी, यदि आपका झगडा माँ से हुआ है तो आप माँ से बात कीजिये| इसकी सजा आप मुझे क्यों दे रहे हैं? इसमें मेरी क्या गलती है?

श्यामल बाबू उसे अर्थपूर्ण दृष्टि से देखते हुए बोले - "महेश, कल तुमने अपने छात्रसंघ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी के विरोध में अपने दोस्तों के साथ मिलकर पूरे शहर को बंद करा दिया था| तुम्हारा विरोध तो सरकार से था| तुमने सरकार से बात क्यों नहीं की? तुमने इसकी सजा आम जनता को क्यों दी? इसमें उनकी क्या गलती थी?"

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 3, 2012 at 8:14am

बिल्कुल शुभ्रांशु जी....कहना सही है आपका....सभी विरोध इसी तरह से ही करते हैं..........कहानी को सराहने के लिए हार्दिक आभार.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 3, 2012 at 8:12am

आदरणीया राजेश जी.........उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 3, 2012 at 8:11am

आदरणीया सीमा जी.......कहानी को सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार...........

Comment by Shubhranshu Pandey on September 27, 2012 at 7:48pm

ये केवल छात्रों की समस्या ही नहीं है , सारे विरोध के स्वरूप आज ऎसे ही हो गये हैं....बढिया कहानी...बधाई


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Comment by rajesh kumari on September 27, 2012 at 10:22am

एक सार्थक प्रस्तुति 

Comment by seema agrawal on September 27, 2012 at 10:01am

बहुत ही अर्थ पूर्ण लघु कथा  .........  

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