For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हंसबैंड

बिल शोपिंग का देते –देते, जिसकी ढीली हो गई पेंट

फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...

उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,

भोर भई जब सोते सोते बीबी बोले डार्लिंग,

देखो बाहर सूरज निकला, हो गई है गुड मार्निग.

यदि पटाये करके ऐसी प्यारी प्यारी टाकिंग

फिर समझ लो आज किचन मे बीबी देखेगी टैलेण्ट । की भईया देखेगी टैलेण्ट

फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...

उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,

हर महिने के पहले हफ़्ता, बीवी करें इंतजार,

फिर पूरे महिने मे पीछे, घूमो सारा बाजार..

यदि कर दिया गलती मे होटल से इंकार .

फिर समझ लो घर के बाहर लगेगा उसका टेंट । की भईया लगेगा उसका टेंट

फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...

उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,

घंटो-घंटों मेकअप करके, करती है टाइम खराब,

गर तारीफ मे रही कमी,तो फिर देखो जनाब

तानो की बारिस होगी, और आंसु का सैलाब

फिर समझ लो उनके आंगे जोडने होंगे हैंड । की भईया जोडने होंगे हैंड

फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...

उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,

घर आये जो साला साली बदले मैडम के ढंग

दो चार दिन मे आप को, राजा से कर दे रंक

आये आतिथि जो ससुराल से, तो बदले चेहरे का रंग

फिर समझ लो बात बात पे बीबी मारे करेंट । की भईया बीबी मारे करेंट

फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...

उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,

Views: 394

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 12, 2013 at 9:45pm

हाहाहा..हाहाहा... हँसी हँसी में हसबैंड का सारा दुखड़ा पेश कर दिया भाई बसंत नेमा जी

कथ्य हास्य से समृद्ध इस रचना पर हार्दिक बधाई.....

प्रवाह में बहुत अटकाव है, यदि इसपर भी कुछ विशेष ध्यान दें तो रचना बहुत निखर उठेगी.

शुभकामनाएं 

Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 6:03pm

बसंत नेमा जी इतनी सुन्दर हास्य रचना हेतु बहुत -बहुत बधाई।

घर आये जो साला साली बदले मैडम के ढंग

दो चार दिन मे आप को, राजा से कर दे रंक

आये आतिथि जो ससुराल से, तो बदले चेहरे का रंग

फिर समझ लो बात बात पे बीबी मारे करेंट । की भईया बीबी मारे करेंट

Comment by बसंत नेमा on March 12, 2013 at 9:58am

बहुत बहुत धन्यवाद ...और आभार आप लोगो ने मेरी रचना को सराहा .....

Comment by Savitri Rathore on March 11, 2013 at 5:19pm

बसंत नेमा जी इतनी सुन्दर हास्य रचना हेतु बहुत -बहुत बधाई।

Comment by Dr.Ajay Khare on March 11, 2013 at 4:32pm

hasne par jiske lag jaye van halat jiski ho jaye band kahte hai usko husband sunder rachana nema ji badjai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service