For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर की मुर्गी या दाल

घर की मुर्गी या दाल

 

देख पडोसी की बीबी, मेरी तबियत भडकी,

मिली नजर उससे तो, मेरी आंख फडकी,

कई दिनो तक रहा, यही सिलसिला जारी

तभी एक दिन घर पर मेरे आई पडोसन प्यारी.

आई पडोसन प्यारी की,  बीबी के भर गई कान. 

 दो की चार लगा के, वो हो गई अंतर्ध्यान | 

 

जाते ही उसके तेज ध्वानि मे, बन्द होगये दरवाजे खिडकी

  थोडी देर मे घर पर मेरे, मच गई अफरातफरी.      

मच गई अफरातफरी की, बीबी बन गई ज्वाला.

रुप भयंकर देख के सोचा, ये मैने क्या कर डाला.

जाने कौन घडी मे पड गया, मेरी अक्ल पे ताला,

अच्छी खासी शबनम थी, उसे शोला बना डाला.

 

तूफान से पहले की छाई, घर पर मेरे खामोशी. 

सन्नाटे को चीरती सिर पर, पडी कोई चीज भारी.

पडी कोई चीज भारी की,आंखो के आंगे छाई अन्धयारी.

आँख खुली तो देखा मैने, सीने पे खडी थी काली.

हाथ जोड कर बोला प्राण, बख्स दो प्राण प्यारी.

आज के बाद नही देखुंगा, कोई पराई नारी,.

 

सुन गुहार माफी की, उसने सीने से पैर हटाया

बोली दहाड के अब मैने, जो ऐसा दोबारा पाया,

ऐसा दोबारा पाया तो, छोड के तुमको चली जाउंगी

सारी उम्र बुलाये फिर भी, लौट के नही आउंगी

फिर चाहे ले आना तुम, अपनी पडोसन प्यारी

और खुब निभाना संग उसके, अपनी दोस्ती यारी

 

देख आंखो से बहती, उसके गंगा जमुना.

सोचा आदमी तेरी, फितरत का क्या है कहना.

 आती है वो छोडछाड के, अपने बाबुल का घर

फिर भी आदमी मुह को,  मारे इधर उधर

मारे इधर उधर की भाईया, जो न हो ऐसा हाल

तो भूल न करना समझ के, घर की मुर्गी को दाल.        

मौलिक व अप्रकाशित"

 

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on February 14, 2013 at 11:41am

श्री गनेश जी और डाँ .प्राची दीदी आप का बहुत बहुत धन्यवाद .....


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 13, 2013 at 9:58pm

बढ़िया हास्य सृजन किया भाई, बधाई ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 13, 2013 at 8:45pm

बढ़िया रचना, हार्दिक बधाई आ. बसंत जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 13, 2013 at 4:03pm

ghar ki murgi lagti daal tabhi padoshan dikhti maal samjh gai yahi bo aapki chaal ghar mai le aati bhoochal

nema ji hashya se bhari maskhari badhai

Comment by बसंत नेमा on February 13, 2013 at 10:57am

राम शिरोमणी जी आप का बहुत बहुत.. धन्यवाद

Comment by ram shiromani pathak on February 12, 2013 at 7:26pm

हास्य और व्यंग का उत्तम उदाहरण सर जी .......हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत मनमोहक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कुंडलिया. . . . होली होली  के  हुड़दंग  की, मत  पूछो  कुछ बात ।छैल - …"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"होली के रंग  : घनाक्षरी छंद  बरसत गुलाल कहीं और कहीं अबीर है ब्रज में तो चहुँओर होली का…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"दोहे*****होली पर बदलाव  का, ऐसा उड़े गुलाल।कर दे नूतन सोच से, धरती-अम्बर लाल।।*भाईचारा,…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कलियुग भी द्वापर काल लगे होली में रंग गुलाल लगे, सतरंगी सबके गाल लगे। होली में रंग गुलाल लगे। इस…"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service