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ग़ज़ल: मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है

बहर: हज़ज़ मुसम्मन सालिम

१२२२, १२२२, १२२२, १२२२

मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है,

अधूरी प्रेम की पूजा कठिन दिल की तपस्या है,

लगे जो ठीक तुझको कर समर्पित है तुझे जीवन,

नमन तुझको हमेशा दिल तेरी करता नमस्या है,

अमावश सी अँधेरी रात चाहत के घरौंदे में,

बिछी आँगन में काँटों से बनी कोई पयस्या है,

उठा तूफान भीषण टूटके बिजली गिरी दिल पर,

भरा सागर दुखों का है बही गम की रहस्या है,

हुई है वर्फबारी गर्म यादों पर निगाहों की,

लगी दीवार पे दिल की हुई कच्ची वयस्या है.

शब्दार्थ

नमस्या : पूजा, पयस्या : घास

रहस्या : नदी, वयस्या : ईंट

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 1, 2013 at 12:46am

प्रिय अनंत जी ..सीखने को नए  शब्द ..और बेहतरीन भावों को संजोये ..... बढ़िया ग़ज़ल ......जय हिन्द

जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by vijay nikore on August 30, 2013 at 11:23am

अति सुन्दर, बधाई आदरणीय अरून जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 3:35am

उठा तूफान भीषण टूटके बिजली गिरी दिल पर,

भरा सागर दुखों का है बही गम की रहस्या है,.........वाह! क्या कहने, जानलेवा शेर
बहुत बहुत खुबसूरत गजल , दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय अरुण अनंत जी

Comment by वेदिका on August 27, 2013 at 11:59pm

खूबसूरत और चुने हुए शब्द आपने खोजे और हमें इनसे अवगत कराया एक सुंदर सी गजल का रूप देकर| 

आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय अरुण अनंत जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 9:26pm

प्रिय अरुण जी 

पहले शेर ने ही मुग्ध कर दिया ...

मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है,

अधूरी प्रेम की पूजा कठिन दिल की तपस्या है,

बहुत खूबसूरत गज़ल 

चुन चुन के हमकवाफी शब्द सम्मिलित किये हैं आपने...इसके लिए विशेष बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:15pm

हार्दिक आभार आदरणीया वंदना जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:15pm

हार्दिक आभार आदरणीया वसुधंरा पाण्डेय जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:15pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय बृजेश भाई जी आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:14pm

हार्दिक आभार केवल भाई स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:14pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण जी भाई राम शिरोमणि पाठक जी

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