For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर से निकली तो वो अखबार में आ जाती है

बात सच जो लबे खुद्दार में आ जाती है

मैं ये सोचे हूँ क्यूँ बेकार में आ जाती है

 

सारा दिन खेलती है साथ में बच्चों के जो  

उनके सोते ही वो बाज़ार में आ जाती है

 

हर दफा सुन के चुनावी औ सियासी बातें

याँ चमक सूरते बीमार में आ जाती है

 

गालियाँ भीड़ को दे यार से भी लड़ मर ले

कैसे हिम्मत किसी मैख्वार में आ जाती है

 

रोते चेहरों को हँसाना ही जिन्हें है भाता  

रूह उन जैसी भी संसार में आ जाती है

 

बात घर की तो रहे घर में ही अच्छा होगा

घर से निकली तो वो अखबार में आ जाती है

 

“दीप” मुस्कान लिए लब पे हमेशा जलना

ऐसे जलने की अदा प्यार में आ जाती है

.............दीप...............

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 6:34pm

आदरणीय नीलेश जी ,आदरणीय डॉ प्राची जी .......उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 6:33pm

आदरणीय विजय मिश्र जी, आदरणीया महिमा श्री जी उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 6:33pm

आदरणीय नादिर खान सर जी , आदरणीय बृजेश सर जी .......उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 6:32pm

आदरणीय अखिलेश सर, आदरणीय गिरिराज सर जी सरहना के लिए सादर आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 6:31pm

आदरणीय सुनील जी ......आदरणीय सारथि जी आपका ह्रदय से आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 6:30pm

आदरणीय गोपाल सर जी सराहना के लिए सादर आभार

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 29, 2013 at 9:43am

सारा दिन खेलती है साथ में बच्चों के जो  

उनके सोते ही वो बाज़ार में आ जाती है

बात घर की तो रहे घर में ही अच्छा होगा

घर से निकली तो वो अखबार मे आ जाती है 

बहुत सुन्दर शेर हुए हैं 

हार्दिक बधाई संदीप जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 29, 2013 at 9:22am

सारा दिन खेलती है साथ में बच्चों के जो  

उनके सोते ही वो बाज़ार में आ जाती है 

 

बात घर की तो रहे घर में ही अच्छा होगा

घर से निकली तो वो अखबार में आ जाती है .......बहुत ख़ूब ...बधाई 

Comment by MAHIMA SHREE on November 27, 2013 at 8:14pm

रोते चेहरों को हँसाना ही जिन्हें है भाता  

रूह उन जैसी भी संसार में आ जाती है

 

बात घर की तो रहे घर में ही अच्छा होगा

घर से निकली तो वो अखबार में आ जाती है....... वाह एक से बढ़ कर एक बेहतरीन शेर ... बहुत -२ बधाई आदरणीय संदीप जी

Comment by विजय मिश्र on November 27, 2013 at 4:52pm
"रोते चेहरों को हँसाना ही जिन्हें है भाता
रूह उन जैसी भी संसार में आ जाती है |-- बहुत शकून मिला पढकर , एक बेहद संजीदा गजल , संदीपजी , बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
39 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
41 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
42 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
45 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
46 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
46 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
47 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय गजेन्द्र जी बहुत शुक्रिया आपका बेहतरी का प्रयास करूंगी सादर"
47 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
48 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
48 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गिरह भी ख़ूब  सादर"
49 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service