For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चौपई छन्द = प्रसंग,,श्री रामचरित मानस ( पुष्प-वाटिका )

चौपई छन्द = प्रसंग,,श्री रामचरित मानस ( पुष्प-वाटिका )
शिल्प = प्रत्यॆक चरण मॆं १५ मात्रायॆं तुकान्त गुरु+लघु कॆ साथ,
=========================================

भॊर भयॆ प्रभु लक्ष्मण संग !! उड़त गगन महुँ विविध विहंग !!
कहुँ कहुँ भ्रमर करहिँ गुँन्जार !! नाचहिँ कहुँ कहुँ झूमि पुछार !!

मन्द पवन सुचि शीत बयार !! मानहुँ गावत मंगलचार !!
लॆन प्रसून गयॆ फ़ुलवारि !! बंधु लखन सँग राम खरारि !!

पहुँचॆ पुष्प-वाटिका जाइ !! स्वागत करत सुमन मुस्काइ !!
भाँति भाँति रँग खिलॆ कनॆर !! दॆखहिँ कृपा सिंधु दृग फॆर !!

बॆला चटक चमॆली रंग !! निरखति रूप भयउ सबु दंग !!
गॆंदा गुड़हल अरु कचनार !! महकति चम्पा सदा बहार !!

ताहि घरी सखियन कॆ संग !! जनक नंदिनी पुलकित अंग !!
गिरिजहिं पूजइ ध्यान लगाय !! माँग रही वर हिय हरषाय !!

पुलकित गौरि  दीन्ह  वरदान !! एवमस्तु कहि  भव कल्यान !!
सखिन्ह पहिं पुनि गई बहॊरि !! अति हर्षित हिय उठी हिलॊरि !!

निरखॆ राम लखन दुहुँ भ्रात !! सुफल नैन भॆ आजु प्रभात !!
दॆखत रामहिँ गई लजाय !! पुनि पुनि दॆखइ पलक उठाय !!

चितवत चकित बहॊरि बहॊरि !! मुख मयंक जस चितव चकॊरि !!
नयन मिलत सिय जाइ लजाय !! लखहिँ सखी सबु हिय हर्षाय !!

कहॆ बचन तब सखी सयानि !! भयउ विलंब सुनहुँ गुण खानि !!
सब आउब पुनि हॊत बिहान !! निरखबु सत छवि रूप निधान !!

मुख तॆ नहिँ निकसॆ कछु बैन !! बरबस निरखि रहॆ छवि नैन !!
भयॆ शकुन कछु रामहिँ सॊइ !! कहा अनुज मन विस्मय हॊइ !!

जदपि नहीं कछु संशय मॊहि !! तबहूँ  कहउँ अनुज सुनु  तॊहि !!
सियहिँ निहारत प्रथमहिँ बार !! नख सिख मानहुँ बजॆ सितार !!

सपनँहु पर-तिय सकै न आय !! रघु-वंशहिँ कर इहइ सुभाय !!
कारण कवन रहा मनु डॊल !! जानइ विधि कस रचा खगॊल !!

फरकहिं  सुभग  अंग सबु आज !! मानहुँ  युद्ध  करइ  रति-राज !!
गुरु पितु मातु दॆवि कुल स्वामि !! दासु शरण तव शम्भु नमामि !!

कवि-"राज बुन्दॆली"
०३/०१/२०१४
पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 2264

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 11, 2015 at 1:09am

Dr.Prachi Singh जी,,,

सादर नमन ,,,,आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 14, 2014 at 5:39pm

बहुत बहुत सुन्दर छंदबद्ध प्रस्तुति..

जिस माधुर्य और शृंगार का निर्वहन करते हुए सुन्दर शब्दों में प्रस्तुति हुई है उस पर मन मुग्ध है..

दॆखत रामहिँ गई लजाय !! पुनि पुनि दॆखइ पलक उठाय !!.......बहुत नाज़ुक क्षण का शब्द चित्र 

पुष्प-वाटिका का सुन्दर वर्णन और सिया का वरदान माँगना भी बहुत सटीक तरह से अभिव्यक्त हुआ है 

बहुत बहुत बधाई आ० राज बुन्देली जी 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 9, 2014 at 2:48pm

आदरणीय ,,,, Saurabh Pandey ,,,,,, जी भाई साहब,,,,,सराहना एवं प्रोत्साहन के लिये दिल से आभारी हूं आपका,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 9, 2014 at 1:00am

साधु-साधु !
चौपई छंद का सुगढ़ निर्वहन हुआ है.. अतिशय बधाइयाँ, भाई राजजी.
प्रसंगवश यह मानस या वाल्मिकी रामायण का अत्यंत भावुक क्षण है. आपने भी पुष्पों की नामावलियों से उसे मर्यादा दिया है.

फरकहिं  सुभग  अंग सबु आज !! मानहुँ  युद्ध  करइ  रति-राज !!
उपरोक्त पंक्ति तो उपसंहार सदृश है एक भक्त के निवेदन का..
शुभ-शुभ

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 7, 2014 at 4:43pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई,,,बहुत बहुत ,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2014 at 4:14pm

अति सुन्दर !! बहुत ही अद्वितीय प्रसंग रचा है चौपई छंद में आ० कवि राज बुंदेली जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें। 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 5, 2014 at 9:15pm

आदरणीया,,,,annapurna bajpai ,,,,,,,आपके इस स्नेह को नमन,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 5, 2014 at 9:14pm
Comment by annapurna bajpai on January 5, 2014 at 8:05pm

आदरणीय कविराज बुन्देली जी इस नई जानकारी से परिपूर्ण सुंदर  रचना हेतु आपको हार्दिक बधाई , आशा है आपसे भविष्य मे भी बहुत कुछ सीखने को मिलता रहेगा । सादर 

Comment by बृजेश नीरज on January 5, 2014 at 6:59pm

आदरणीय आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service