For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दॊहा छन्द (श्रंगार-रस)
===================

उठत गिरत झपकत पलक, दुपहरि साँझ प्रभात !!
चितवत चकित चकॊर-दृग,मुख-मयंक दुति गात !!१!!

नाभि नासिका कर्ण कुच, त्रि-बली उदर लकीर !!
ग्रीवा चिबुक कपॊल कटि,निरखत भयउँ अधीर !!२!!

हँसि हॆरति फॆरति नयन, मन्द मन्द मुस्काति !!
दन्त-पंक्ति ज्यूँ दामिनी, बिन गरजॆ चमकाति !!३!!

चॊटी  मानहुँ  कॊबरा, लटि नागिन  की जात !!
कॆश समुच्चय  कर रहा, नाग लॊक  की बात !!४!!

भरीं भुजा दॊनहुँ  सबल, उरू कॆर कॆ खम्भ !!
दॆखति कॆशव गिर पड़ॆ, भूल गयॆ सबु दम्भ !!५!!

पॊर पॊर रति चू रही , भृकुटि वलय तलवार !!

जॊ दॆखइ इक बार सॊ, पुनि पुनि रहा निहार !!६!!

चन्दा ज्यॊं आकाश मॆं, तैसहिँ बिंदिया भाल !!
कॆश गुच्छ मॆं घिर गयॆ, सॆनापति कॆ ख्याल !!७!!

निरखत मति मारी गई, मौन भयॆ मतिराम  !!
घनानन्द आनन्द झरि, टप-कत स्वॆद ललाम !!८!!

दॆखि बिहारी हुइ भ्रमित, कहॆं धन्य भगवान !!
काया पइ माया करत, कौतुक कृपा निधान !!९!!

शान्त संतुलित चित्त अरु, हाँथ हरित रूमाल !!
उपमा सबु ऊसर लगहिँ, निरखि हंसिनी चाल !!१०!!

कबहुँ गुरॆरति हाँथ लइ, चुनरी पट कर छॊर !!
कबहूँ दाँत दबाइ कइ, निरखत मनहुँ चकॊर !!११!!

रसिक लॆखनी और मसि, दॊनॊं करॆं सवाल !!
रचत विधाता कहुँ लगॆ, जानॆ कितनॆ साल !!१२!!

संयम सॆ हम बच गयॆ, वरना जातॆ  प्राण !!
कामदॆव नॆ हिय हनॆ, प्रतिपल लाखॊं बाण !!१३!!


कवि-"राज बुन्दॆली"
०८/०१/२०१४
पूर्णत:मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on January 16, 2014 at 6:08pm

अति सुंदर दोहावली आ0 कविराज बुन्देली जी बधाई आपको । 

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:31pm

बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय राज  भाई जी। । हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 9:20pm

हा हा हा हा.. . अब ऐसों के घन-आनन्द पर बिहारी की थाप ! .. धम्म-धम्म-धम्म ! ... . :-))))

एक-दो-तीन-चार-पाँच...  भइया, दसो के दसो गिनि भये हम, कविजी वाह वाह ! ..

एक बात :
पहिले त श्रंगार के शृंगार लिखना शुरु करौ, तबै हम पतियायें जे गप्प निकहा सुगढ़ हुई लगी.

शुभेच्छाएँ

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 9, 2014 at 11:44pm

आदरणीय,,,,,,,,,अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव ,,,,,,,,,,,,जी भाई साहब,,आपकी प्रतिक्रिया से हृदय गद-गद हो गया,,,,,और बहुत प्रोत्साहन मिला है,,,इस स्नेह के लिये दिल से आभारी हूं आपका,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 9, 2014 at 11:43pm

आदरणीया,,,,,,,shashi purwar ,,,,,,,आपसे बहुत प्रोत्साहन मिला है,,,इस स्नेह के लिये दिल से आभारी हूं आपका,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 9, 2014 at 10:10pm

प्राचीन रसिक  कवियों को याद करते हुए सुंदर दोहे रचे  हैं राज भाई , हार्दिक बधाई॥ 

Comment by shashi purwar on January 9, 2014 at 10:08pm

waah kavi ji sundar dohe waah waah waah badhai apako

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 9, 2014 at 9:27pm

ajay kumar sharma ,,,,,,,,जी,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,,,सराहना एवं प्रोत्साहन के लिये,,,,,,

Comment by Ajay Agyat on January 9, 2014 at 9:13pm

अति उत्तम

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 9, 2014 at 5:00pm

भाई,,,,,अरुन शर्मा 'अनन्त' ,,,,जी,,आपकी प्रतिक्रिया से हृदय गद-गद हो गया,,,,,और बहुत प्रोत्साहन मिला है,,,इस स्नेह के लिये दिल से आभारी हूं आपका,,,,,,,,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
53 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में पर आ जाता है।दिल…See More
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
23 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
yesterday
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
yesterday
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service