For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत: आकाश उसी का है !

नवगीत 
********
उड़ने की जो ठान ले 
आकाश उसी का है  
पंखों में हो 
कमी अगरचे 
या फिर ना-ना 
के हो चर्चे 
इन बातों से ना घबराना 
दिल ने सीखा है
…… आकाश उसी का है  
अगर-मगर जो  
अगर करेगा 
कैसे पहली 
पेंग भरेगा 
सच कहता हूँ सुनो कसम से 
मुद्दा तीखा है  
..... आकाश उसी का है  
उठो बता दो 
आसमान को 
तोड़ो उसके 
तुम गुमान को 
बढे हौसलों के आगे 
हर रोड़ा फीका है
.... आकाश उसी का है  

 
------------------------------------------------------
अविनाश बागड़े //अपकाशित/मौलिक रचना 

Views: 473

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on February 1, 2014 at 11:43pm

Saurabh Pandey साहब ,बहुत-बहुत आभार मेरे इस नवगीत का आपने अनुमोदन किया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 31, 2014 at 2:14pm

बहुत बहुत धन्यवाद, आरणीय अविनाशभाई, इस ओजभरी प्रस्तुति के लिए ..

सादर

Comment by AVINASH S BAGDE on January 24, 2014 at 2:04pm

Shyam Narain Verma ji....बहुत-बहुत आभार .

Comment by AVINASH S BAGDE on January 24, 2014 at 2:03pm

जनाब शिज्जू शकूर साहब ,आभार मेरे इस नवगीत का आपने अनुमोदन किया 

Comment by AVINASH S BAGDE on January 24, 2014 at 2:01pm

 गिरिराज भंडारी जी मेरे इस नवगीत की भावनाए आपने स्वीकार की /आभार .

Comment by AVINASH S BAGDE on January 24, 2014 at 2:00pm

आदरणीया डॉ प्राची जी बहुत बहुत आभार आपके इस समर्थन का 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 24, 2014 at 12:23pm

बुलंद हौसलों को व्यक्त करता सुन्दर नवगीत आ० अविनाश बागडे जी 

हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2014 at 8:37pm

आदरणीय अविनाश भाई , आकाश मे उड़्ने का हौसला देती आपकी  सुन्दर नवगीत रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥

उठो बता दो 

आसमान को 

तोड़ो उसके 

तुम गुमान को 

बढे हौसलों के आगे 

हर रोड़ा फीका है

.... आकाश उसी का -------- बहुत खूब भाई जी ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 6:59pm
//अगर-मगर जो  
अगर करेगा 
कैसे पहली 
पेंग भरेगा 
सच कहता हूँ सुनो कसम से 
मुद्दा तीखा है  
..... आकाश उसी का है  //
वाह बहुत खूब आदरणीय अविनाश सर बहुत बहुत बधाई इस नवगीत पर
Comment by Shyam Narain Verma on January 22, 2014 at 10:54am
बहुत सुंदर नवगीत...बहुत-बहुत बधाई ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service