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फकत वोटों की खातिर झूठे वादे करने वालों को
सबक सिखलाएंगे अब के छलावे करने वालों को ...


नहीं गुमराह होंगे हम किसी की बातों में आ कर 
न गद्दी पर बिठाएंगे तमाशे करने वालों को...

गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी से लड़ेंगे वो
चलो हम हौसला देवें इरादे करने वालों को ...

चुनावी वायदे अपने कभी पूरे नहीं करते
बहाना चाहिए कोई बहाने करने वालों को....

सियासी चाल में फंस कर अंधेरों में हैं हम भटके
कि अब के वोट डालेंगे उजाले करने वालों को....

मौलिक व अप्रकाशित ....

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 28, 2014 at 3:06am

गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी से लड़ेंगे वो
चलो हम हौसला देवें इरादे करने वालों को .

 

सियासी चाल में फंस कर अंधेरों में हैं हम भटके
कि अब के वोट डालेंगे उजाले करने वालों को....

वाह !

आदरणीय अजय अज्ञातजी,  सामयिक ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई.

सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2014 at 5:13pm

आगामी चुनावो से पहले जनता को जागरूक और सचेत करती इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें ..सादर

Comment by Abhinav Arun on March 25, 2014 at 2:33pm

सुन्दर सामयिक।।।।।।।।।। बधाई आदरणीय !!!

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on March 25, 2014 at 12:53pm

आ. अजय जी ,

बहुत सुंदर, सामयिक और खूबसूरत रचना.

इस नाचीज़ की तरफ से मुबारकबाद स्वीकार करें.

"चिराग"

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 24, 2014 at 11:51pm

बहुत बढ़िया गजल आदरणीय अजय जी, सभी शेर जोश भरा सन्देश देते हुए . हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2014 at 10:38am

आदरणीय अजय भाई , सुन्दर सामयिक ग़ज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by वीनस केसरी on March 24, 2014 at 12:32am

सामयिक विचार की सुन्दर अभिव्यक्ति
सीख देती हुयी शानदार ग़ज़ल के लिए ढेरो दाद

Comment by बृजेश नीरज on March 23, 2014 at 8:10pm

अच्छी ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 23, 2014 at 7:06pm

आदरणीय अजय जी अच्छी संदेश देती हुई ग़ज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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