For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथ जीने की सज़ा

चाहतों ने गुलज़मीं पे चाँदनी जब छा दिया

आहटों ने बढ़ तराना प्यार का तब गा दिया |

 

हाथ क़ैदी की तरह सहमे हुए थे क़ैद में

क़ैदख़ाने में किसी ने दिल थमा बहका दिया |

 

पाँव में थीं बेड़ियाँ, बेदम नज़र, मंजिल न थी

हौसले ने वक़्त पे सिर से कफ़न फहरा दिया |

 

होंठ काँटों के हवाले खूँ से लथपथ थे पड़े

फूल की ख़ुशबू ने टाँके खींचकर महका दिया |

 

मातमी अंदाज़ में लोगों का जमघट था लगा

साथ जीने की सज़ा ने मौत को झुठला दिया |

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

--- संतलाल करुण

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Santlal Karun on June 28, 2014 at 6:24pm

आदरणीय जे.एल.सिंह जी,

ग़ज़ल पढ़ने और तारीफ़ करने के लिए सहृदय आभार !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 28, 2014 at 12:50pm

होंठ काँटों के हवाले खूँ से लथपथ थे पड़े

फूल की ख़ुशबू ने टाँके खींचकर महका दिया |

वाह वाह क्या अंदाज है सर जी 

आपने तो पूरे गुलशन को हे बहका दिया...सादर!

Comment by Santlal Karun on June 26, 2014 at 8:39pm

आदरणीया डॉ. प्राची जी,

आप के प्रेरक उद्गार और भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 25, 2014 at 4:13pm

बहुत गहरी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है शेर दर शेर 

मन को कचोटते से हैं इन अशआरों के कहन...प्रस्तुत ग़ज़ल पर मेरी दिली शुभकामनाएं प्रस्तुत हैं ..स्वीकार कीजिये 

Comment by Santlal Karun on June 23, 2014 at 5:17pm

आदरणीय सुशील जी,

ग़ज़ल की तारीफ़ के लिए तहे दिल से शुक्रिया !

Comment by Sushil Sarna on June 23, 2014 at 5:02pm

होंठ काँटों के हवाले खूँ से लथपथ थे पड़े
फूल की ख़ुशबू ने टाँके खींचकर महका दिया |

वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत ही उम्दा ग़ज़ल .... हर शेर खूबसूरत अहसासों से लबरेज़ है .... इस खूबसूरत पेशकश के लिए दिली दाद कबूल फरमाएं आदरणीय

Comment by Santlal Karun on June 23, 2014 at 4:40pm

आदरणीय शशि मेहरा जी,

ग़ज़ल पढ़ने और तारीफ़ करने के लिए हृदयपूर्वक आभार !

Comment by Santlal Karun on June 23, 2014 at 4:38pm

आदरणीया कुंती जी,

ग़ज़ल प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on June 23, 2014 at 4:36pm

आदरणीया गीतिका जी,

सराहना भरी प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार !

Comment by Santlal Karun on June 23, 2014 at 4:34pm

आदरणीया मंजरी मैडम,

आशा है आस्ट्रेलिया से वापस बनारस आ गई होंगी और सकुशल होंगी | हम कुशलपूर्वक हैं और सुलतानपुर में ही हैं | ग़ज़ल की सराहना के लिए हार्दिक आभार ! वेबसाइट का लिंक दे रहा हूँ --  http://bit.ly/1jkf2w4 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service