For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाहें पिया का हो घर परदेश में, पीहर तो मेरा है, तेरा घर कृष्णा !!

चाहें पिया का हो घर परदेश में, पीहर तो मेरा है, तेरा घर कृष्णा !!

मोहब्बत का पहला पयाम कृष्णा, उगता हुआ सा जैसे चाँद कृष्णा !
बिन तेरे महफ़िलों में नूर नहीं है, मोहब्बत का तुझे है सलाम कृष्णा !!
सर पे रखा हो जैसे दस्ते खुदा, मंजिल-ए-इश्क है राधेनाम कृष्णा !
मुझे तो नदिया की धार सा लगे, जैसे रिश्तों का घुला जाम कृष्णा !!
मुझे मिल जाए बस तेरी दुआ, तू है सबकी निगाहों का प्यार कृष्णा !
माँ का दुलार, पिता का प्यार सा लगे, मेरे लिए तो भाई का दुलार कृष्णा !!
यही पे हूँ जन्मी थी, यहीं पे पली, फूलों की डोली सजाके विदा किये कृष्णा !
चाहें पिया का हो घर परदेश में, पीहर तो मेरा है, तेरा घर कृष्णा !!
मैं तो खुद तेरी ही पनाहों में पली, मेरी मर्यादा ही मेरी दहलीज कृष्णा !
जाऊं दूर कहीं मैं तुमसे कभी, रखना सदा ही सर पे मेरे अपना हाँथ कृष्णा !!
जो कहते है इश्क गैर सा लगे, उनके दिलों में तो फ़क्त बैर कृष्णा !
मेरे अरमानों की शान सा लगे, तू है अजीज और महान कृष्णा !!
तू ख़्वाबों में भी कभी जो मुझे याद कर ले, महके ये घर सारा दिन कृष्णा !
रखना शरण में तू मुझको सदा, तुझे सारे जग की कसम कृष्णा !!
किसी के दिल का ईमान तू बने, और किसी की निगाहों का करार कृष्णा !
आये जाए कोई मुझे कोई ना खबर, बस मेरे तो ओंठों पे सुबहो शाम कृष्णा !!
मेरे गीत और गजलों में छाया है तू ही, तू ही है इश्क की जुबान कृष्णा !
अब आई हूँ शहर में तेरे मेहमां बनकर, तेरी झलक दिखी ना एक बार कृष्णा !!
मिजाज में मेरे रखना तू यही दम ख़म, बहिना के ह्रदय की तू पुकार कृष्णा !
मुझे शोहरतों की दुआओं सा लगे, मेरे गीत गजलों की शान कृष्णा !!

सुनीता दोहरे.....

मौलिक एवं अप्रकाशित !!!

Views: 772

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sunita dohare on January 6, 2015 at 4:14am

Pawan Kumar ... जी , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर प्रणाम !!"

Comment by sunita dohare on September 8, 2014 at 1:21am

annapurna bajpai नमस्कार 
बहुत बहुत धन्यवाद  सादर !!!

Comment by sunita dohare on September 8, 2014 at 1:20am

 आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी , बहुत बहुत धन्यवाद !सादर प्रणाम !!

Comment by sunita dohare on September 8, 2014 at 1:19am

जितेन्द्र 'गीत' जी , बहुत बहुत धन्यवाद !सादर प्रणाम !!

Comment by annapurna bajpai on September 7, 2014 at 5:47pm

वाह !! यह रचना सुंदरतम उपहार है कृष्णा 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 12:02pm

आदरणीया

 

कविता क्या  है  मानो कही   से आयी  हो बहार कृष्णा i

स्वीकारो प्रभु,  यह है  इक कवयित्री का उपहार कृष्णा  ii

सादर i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 7, 2014 at 9:54am

बहुत सुंदर प्रस्तुति. बधाई आपको आदरणीया सुनीता जी

Comment by sunita dohare on September 5, 2014 at 4:23pm

 MAHIMA SHREE जी, 
नमस्कार 
बहुत बहुत धन्यवाद !सादर प्रणाम !!

Comment by sunita dohare on September 5, 2014 at 4:22pm

 Pawan Kumar जी,
नमस्कार 
बहुत बहुत धन्यवाद !!!!

Comment by sunita dohare on September 5, 2014 at 4:21pm

narendrasinh chauhan जी , बहुत बहुत धन्यवाद !सादर प्रणाम !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
22 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service