For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का , तुम रेखा मनमानी I

मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का , तुम रेखा मनमानी I 
मैं ठहरा पोखर का जल , तुम हो गंगा का पानी I I

मैं जीवन की कथा -व्यथा का नीरस सा गद्यांश कोई इक I 
तुम छंदों में लिखी गयी कविता का हो रूपांश कोई इक I 

मैं स्वांसों का निहित स्वार्थ हूँ , तुम हो जीवन की मानी I I

धूप छाँव में पला बढा मैं विषम्तायों का हूँ सहवासी I 
तुम महलों के मध्य पली हो ऐश्वर्यों की हो अभ्यासी I 
मैं आँखों का खारा संचय , तुम हो वर्षा अभिमानी I I

विपदायों , संत्रासों से मेरा अटूट अनुबंध रहा है I 
पीड़ा से अनभिज्ञ रही तुम सुख से ही सम्बन्ध रहा है I 
मैं शमशानी श्वेत वस्त्र हूँ , तुम हो चूनर धानी I I

सुबह शाम सा दो स्वासों का मिलन सदा ही रहा असंभव I 
"'अजय "सत्य है फिर भी जीवन तट बंधों पर ही है संभव I 
तुम उजला सन्दर्भ हो , जिसका मैं हूँ वही कहानी I I

मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का तुम रेखा मनमानी I 
मैं ठहरा पोखर का जल तुम हो गंगा का पानी I I

अप्रकाशित / अमुद्रित :

अजय कुमार शर्मा

Views: 887

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 26, 2015 at 5:11pm

मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का , तुम रेखा मनमानी I 
मैं ठहरा पोखर का जल , तुम हो गंगा का पानी I I

क्या बात है..एक बार फिर आपने नि:शब्द कर दिया !आपको प्रणाम!

Comment by Ram Ashery on February 14, 2015 at 2:29pm

अति सुंदर रचना आपको बधाई हो 

Comment by Chhaya Shukla on February 11, 2015 at 10:24pm

अतीव सुंदर गीत की बधाई स्वीकारें आदरणीय अजय जी सादर !

Comment by सर्वेश कुमार मिश्र on February 6, 2015 at 12:00am

वाह...

Comment by vandana on February 3, 2015 at 7:29am

वाह बहुत खूब आदरणीय 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 29, 2015 at 8:14pm

आदरणीय अजय जी बहुत खूबसूरत रचना है ......मैं शमशानी श्वेत वस्त्र हूँ , तुम हो चूनर धानी....बहुत खूब , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by sunita dohare on January 26, 2015 at 2:37pm

बहुत सुन्दर गीत वाह ...बधाई अजय जी 

Comment by kanta roy on January 24, 2015 at 3:46pm
" मैं जीवन की कथा -व्यथा का नीरस सा गद्यांश कोई इक I
तुम छंदों में लिखी गयी कविता का हो रूपांश कोई इक I
मैं स्वांसों का निहित स्वार्थ हूँ , तुम हो जीवन की मानी I I" ....अति सुंदर सुसज्जित शब्द भाव । बधाई स्वीकार करें आ.अजय कुमार शर्मा जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 17, 2015 at 9:22pm

आदरणीय अजय जी बहुत सुन्दर गीत है... हार्दिक बधाई स्वीकार करें..... फीचर ब्लॉग में आया तोइसे आज पढ़ पाया, पता नहीं कैसे चूक गया. 

Comment by mrs manjari pandey on December 17, 2014 at 9:42pm
मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का , तुम रेखा मनमानी I
मैं ठहरा पोखर का जल , तुम हो गंगा का पानी I I
आदरणीय अजय कुमार जी अच्छी रचना के लिए साधुवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
22 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service