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होली.....(गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान')

......होली......

होली है त्यौहार रंगों का , 
आओ तन मन रंग लें .
हो खुशियों की बौछार , 
आओ तन मन रंग लें.

सबका हो हर अरमान पूरा 
ना सपना रहे अधूरा

जिसकी जितनी चाहत हो
उतना उसको मिल जाये
बस खुशियों की बारिस हो
और तन मन खिल जाये

प्यार प्यार बस प्यार रहे 
सारी दुनिया के भीतर
और किसी भी भाव का 
हो ना पाए असर

इस होली पर इसी भाव को
बस अपने मन में पालें 
प्यार छोड़ कर बाकि सबको
होली संग जलालें

होली की जलती अग्नि
प्रेम की ज्योति जलाये
गेहूं की खिलती बालियाँ 
नयी भोर को लाये

नई उमंग और नयी चेतना 
दे होली की गर्मी
सद्भाव ह्रदय का गहना हो
बनें नहीं हठधर्मी 

पुनः एक बार होली की 
सबको मिले बधाई
खाओ और खिलाओ 
प्रेम से खूब मिठाई

.
गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान'

(मौलिक व अप्रकाशित) 

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Comment

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Comment by गिरिराज भंडारी on March 8, 2015 at 4:11pm

लाजवाब रचना हुई है , आदरणीय गंगा धर जी , आपको बधाइयाँ । 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:33pm

आदरणीय गंगा धर शर्मा जी सुन्दर विचारों से ओत -प्रोत इस रचना पर बधाई आपको ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:12am

बहुत सुंदर प्रस्तुति, आदरणीय गंगा धर जी. हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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