For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरसी मिलिन्दपाद छन्द (ओबीओ मंच को समर्पित)

सरसी मिलिन्दपाद छन्द ।
१६,११ पदान्त में (२१ गुरु,लघु)अनिवार्य
आज गुरुपूर्णिमा पर आदरणीय ओबीओ मंच को समर्पित ।
.
हे जीवन पथ के निर्माता,तुम पे है अभिमान।
तुम ही मात-पिता हो मेरे,तुम ही हो भगवान।
तुम ने दीप ज्ञान का देकर,किया बडा आभार ।
जन्मों जनम तक भी न उतरे,तेरा ये उपकार।
ब्रह्मा,विष्णु,महेश,मुरारी,गुरु चरणों में राम।
तन,मन,धन,सब कुछ अर्पण कर,करूं गुरुवर प्रणाम ।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 2:06pm

भारतीय छन्द विधान समूह में दोहा की शुद्धता से सम्बन्धित एक आलेख है. आप उसमें देखें. 

ओबीओ के मुख्यपृष्ठ पर छन्द मञ्जरी को प्राप्त करने की जानकारी है. आप उसका लाभ ले सकते हैं. मुझे विश्वास है, कविता की गेयता सम्बन्धी कई समस्याओं का समाधान होगा. 

Comment by Rahul Dangi Panchal on August 2, 2015 at 12:58pm
शुक्रिया आदरणीय हर्ष महाजन जी
Comment by Harash Mahajan on August 2, 2015 at 12:33pm
राहुल डांगी जी बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिए । आपके माध्यम से एक नए छंद के बारे में मालूम हुआ ।सादर ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on August 2, 2015 at 11:31am
आदरणीय सौरभ जी नमन।
सर भारतीय छन्द विधान में मुझे सरसि छन्द नहीं मिल रहा है क्रपया आप लिंक भेजने का कष्ट करें ।

सादर निवेदन ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on August 2, 2015 at 7:29am
आदरणीय सौरभ जी नमन। इस छन्द पर यह मेरी पहली कोशिश थी मै पुन: अभ्यास करता हूँ। सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 1:46am

भाई राहुल डांगीजी, आपका समर्पण कई बार चकित कर देता है. ओबीओ वस्तुतः हमसभी का गुरु है. समवेत सीखना-सिखाना इस मंच की परिपाटी है. आप जैसे रचनाकर्मरत सदस्यों का गुरु-पूर्णिमा के शुभ-अवसर पर भावमय हो जाना सहज भवदशा है. अतः, अपेक्षित है.
प्रस्तुति केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ.


जहाँ तक सरसी छन्द का सवाल है, उसकी परिभाषा देख लें - सरसी छंद - 16-11 की यति पर. चार पदों यानि आठ चरणों का छन्द जिसके दो-दो पद तुकान्तता में होते हैं. [विषम चरणांत के लिए कोई विशेष नियम नहीं] 

 

इस हिसाब से आपकी प्रस्तुति चार पदों की शर्त पूरा नहीं करती. इस हिसाब से तोआप डेढ़ छन्द ही प्रस्तुत कर पाये.

अंतिम पद में अंतिम चरण यानी अंतिम सम चरण ’करूँ गुरुवर प्रणाम’ को ’गुरुवर करूँ प्रणाम’कर लें.
गुरुवर’ चौकल (चार मात्रिक) शब्द के बाद आया ’करूँ’ ’प्रणाम’ के ’प्रणा’ से मिलकर षटकल शब्द-समुच्चय बना लेता है. और गेयता सध जाती है.

इस अभ्यास और आत्मीय समर्पण केलिए हार्दिक शुभकमनाएँ.
शुभेच्छाएँ

पुनश्च - 

इस मंच के भारतीय छन्द विधान समूह में आप सरसी छन्द पर मूलभूत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. 

Comment by Rahul Dangi Panchal on August 1, 2015 at 4:51pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी मेरा तो यह मंच ही गुरु है ईश्वर से यही दुआ करता हूँ इस का स्नेह मुझसे यूं ही बना रहे।
नमन।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 1, 2015 at 3:47pm

आदरणीय राहुल भाई जी, गुरुपूर्णिमा पर ओबीओ मंच को समर्पित इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
19 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
23 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service