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मात्र इक भाषा नहीं है।

मात्र इक भाषा नहीं है,

राष्ट्र की पहचान -हिन्दी।

सभ्यता की नींव है,

साहित्य की धनवान -हिन्दी।

सर्वव्यापक सरल सुन्दर,

सर्वगुण सम्पन्न है,

ज्ञान का विस्तीर्ण साधन,

सद्गुणों की खान -हिन्दी ।

व्यक्ति का व्यक्तित्व है,

प्रतिबिंब है अभिव्यक्ति का,

उपयोग,सूचक शक्ति का,

मान और सम्मान -हिन्दी।

गुरुमुखी श्रीग्रंथ साहिब ,

नित्य शाश्वत वेद है,

काव्य की निर्मल विधा,

"अज्ञात" गीता ज्ञान -हिन्दी।

कवि की कोमल कल्पना है,

सावनी मल्हार है,

कूक कोयल की मधुर है,

कर्ण प्रिय सुर-तान- हिन्दी।

क्यों आज विस्मृत हो रही,

भाषा पुरातन काल की,

क्यों दुर्दशा से ग्रसित है,

क्यों सह रही अपमान -हिन्दी।

भारत के मानुष आज लो प्रण,

साख हो जीवित पुन:,

विश्व में छा जाये तिरंगा,

कर रही आह्वान -हिन्दी।।

अजय शर्मा " अज्ञात "

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Ajay Kumar Sharma on October 26, 2015 at 11:22pm

कान्ता जी कोटिशः धन्यवाद।

Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 6:16pm

मात्र इक भाषा नहीं है,
राष्ट्र की पहचान -हिन्दी।
सभ्यता की नींव है,
साहित्य की धनवान -हिन्दी।---वाह !!! शब्द -शब्द हिंदी की शान में बहुत खूब गढ़ गए है ये काव्यान्जलि आदरांजलि ,श्रद्धांजलि। अद्भुत , बधाई आपको इस अनुपम कृति के लिए आदरणीय अजय जी ।

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